ऋषभ शेट्टी की ‘कांतारा चैप्टर 1’ की शुरुआत उस वादे से होती है जो उन्होंने थिएटर के बाहर ही जनता से किया है. उनकी 2022 में आई फिल्म ‘कांतारा’ ने दंतकथा पर बेस्ड ऐसा संसार रचा था, ऐसी कहानी दिखाई थी जो जनता ने पहले कभी नहीं देखी थी. सिनेमा के पर्दे पर नया संसार रचने में ये फिल्म खुद में आइकॉनिक बन चुकी है.
ऐसे में ऋषभ के सामने चैलेंज ये था कि उन्हें ‘कांतारा चैप्टर 1’ में ना सिर्फ पिछला लेवल बरकरार रखना है, बल्कि उससे और एक कदम आगे जाना है. क्या ऋषभ कामयाब हुए? इसके जवाब के लिए हम फिल्म देख रहे हैं, और साथ-साथ आपको दे रहे हैं ये रिव्यू…
कहां से शुरू होती है कहानी?
‘कांतारा चैप्टर 1’ उस रहस्य से शुरू होती है, जो पहली फिल्म में अधूरा छूटा था― शिवा, उसके पिता, और उनसे पिछली पीढ़ियों में भूत-कोला करने वाले जंगल में उस एक अंधेरी जगह पर ही क्यों गायब होते हैं? इस रहस्य का जवाब उस दंतकथा में है, जो पिछली फिल्म में केवल छुई गई थी. अब आप इस कथा में गहरे उतरते हैं.
कहानी आपको एक जंगल और राजा के शासन में ले जाती है. इस हिस्से में पहले राजा और जंगल में एक दीवार खड़ी होती है. मगर आने वाली पीढ़ियों में उस दीवार के पार देखने की जिज्ञासा कहानी को आगे बढ़ाती है.
फर्स्ट हाफ की शुरुआत में आपको कहानी नैरेट की जा रही है, बैकग्राउंड समझाया जा रहा है. इस सेटअप में समय लगता है. शायद आप कुछ जगहों पर सब्र छोड़ने वाले हों, लेकिन तभी ऋषभ अपने नए संसार के पत्ते खोलते हैं. वो जंगल के समुदाय के लीडर हैं, नाम है बेरमे. जंगल का ये संसार जिस तरह रचा गया है, उसमें इतनी डिटेल है कि उसे देखते हुए आप ऋषभ की स्टोरीटेलिंग के कायल होते चले जाते हैं.
राजकुमारी कनकवती की एंट्री होती है. किरदार निभा रहीं रुक्मिणी वसंत पहले फ्रेम से अटेंशन बांध लेती हैं. बेरमे और कनकवती की केमिस्ट्री, सबसे बेहतरीन लव स्टोरीज को टक्कर देती है. फिर आता है कहानी का कनफ्लिक्ट. जो इंटरवल ब्लॉक में समेटा गया है. जहां शुरुआत में आप फिल्म के थोड़ा ज्यादा ‘बोलने’ से सब्र खोने वाले थे, वहीं इस ब्लॉक में एक शब्द नहीं बोला गया है. सबकुछ स्क्रीन पर घट रहा है. विजुअल्स में इमोशन है, भाव हैं और प्रतीक हैं.
टेक्निकली, विजुअल्स के लेवल पर, स्टोरीटेलिंग में, एक नया संसार गढ़ने में ऋषभ की मास्टरी दिख रही है. ‘कांतारा चैप्टर 1’ का माहौल सेट है, विजुअल एक्सपीरिएंस अद्भुत है. एक्शन शानदार है. वर्ल्ड-बिल्डिंग, रोमांस आपको अरेस्ट करने वाला है. अब देखना है कि सेकंड हाफ में क्या जादू होता है.
‘कांतारा चैप्टर 1’ का सेकंड हाफ इसकी जान है. फर्स्ट हाफ खत्म होते-होते फिल्म जहां तक पहुंची थी, वो जैसे एक दरवाजा था जो आगे के लिए खोला गया था. सेकंड हाफ शुरू होते ही आप जहां कदम रखते हैं, वहां पूरी फिल्म का रहस्य है. जंगल के मिथक यहां खुल रहे हैं. माइथोलॉजिकल शक्तियां अब अपने खेल के चरम पर हैं.
अब कहानी जो ट्विस्ट लेती है, उसकी कल्पना भी आप पहले से नहीं कर पाते. फिल्म की राइटिंग टीम को सलाम बनता है. इस विजुअली अद्भुत संसार, जादुई म्यूजिक स्कोर और सिनेमाई तकनीक के साथ उन्होंने जो ट्विस्ट कहानी को दिया है, वो किसी बेहतरीन थ्रिलर जैसा है.
धमाकेदार है क्लाइमेक्स
सेकंड हाफ जिस हाई नोट पर, उमड़ते-घुमड़ते इमोशंस वाले मोड़ से शुरू हुआ, उसमें मुझे ये चिंता थी कि कहीं क्लाइमेक्स की तरफ फिल्म की एनर्जी डाउन ना होने लगे. मगर ऋषभ ने पूरे सेकंड हाफ में एनर्जी को जहां पहुंचाया है वो इंडियन सिनेमा में याद रखा जाएगा.
क्लाइमेक्स के महत्वपूर्ण सीक्वेंस में ‘कांतारा चैप्टर 1’ माइथोलॉजी की जिस साइड है, वहां ऋषभ को एक जगह पूरी तरह ग्राफिक्स से तैयार एक कैरेक्टर पर जाना पड़ा. इससे उस सीक्वेंस का फील अभी तक रियल नजर आ रहे विजुअल्स से अलग तो होता है. मगर ये पूरी तरह ऋषभ की कहानी का विजुअल व्याकरण है जो तब भी आपको कहानी में बांधे रखता है.
क्लाइमेक्स फिल्म को उससे भी हाई नोट पर ले जाता है, जहां से सेकंड हाफ शुरू हुआ था. ‘कांतारा चैप्टर 1’ एक और फ़िल्म के वादे के साथ खत्म होती है. मगर ऋषभ का रचा संसार, उनकी फिल्ममेकिंग और उनका शानदार काम आपके साथ रहता है. क्लाइमेक्स की तरफ ये फिल्म एक जगह सिनेमा से ऊपर उठ जाती है और कुछ ऐसा महसूस करवाती है, जो कहा नहीं जा सकता.
फिल्म की लीड एक्ट्रेस रुक्मिणी वसंत पर नजर रखिएगा, आपको कोई आईडिया नहीं है वो इस कहानी में आगे क्या करने वाली हैं. युद्ध के सीन, हिस्टोरिकल वॉर ड्रामाज को टक्कर देते हैं. एक्शन कोरियोग्राफी फिल्म का हाई पॉइंट है. ‘कांतारा चैप्टर 1’ देखते हुए अपने देश की संस्कृति पर भी आपको एक गर्व महसूस हो सकता है. और गर्व होता है ऋषभ को कि इसे उन्होंने अपने सिनेमेटिक अंदाज में इतना शानदार अनुभव बनाया है. ये ऐसी फिल्म बन गई है जिसे जितनी बार देखा जाएगा, कुछ अलग, कुछ नया महसूस होगा.
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