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Dussehra 2025: कहानी शूर्पणखा की! जो अपने भाई रावण से लेना चाहती थी पति की मृत्यु का बदला – dussehra 2025 know untold story of surpanakha on vijayadashmi tvisg


Dussehra 2025: आज दशहरा का त्योहार मनाया जा रहा है. पंचांग के मुताबिक, यह पर्व हर वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. हिंदूओं में दशहरा या कहें विजयादशमी बहुत ही धूमधाम से मनाया जाने वाला त्योहार है. इस दिन मां दुर्गा, भगवान राम की पूजा की जाती है. हर्ष और उल्लास तथा विजय का पर्व दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का सबसे बड़ा प्रतीक माना जाता है. इस दिन रावण दहन के अलावा शस्त्र पूजन का विधान है.

हर साल दशहरा जब भी आने वाला होता है तो उससे पहले जगह- जगह पर रामलीला का आयोजन होना शुरू हो जाता है. श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण, हनुमान सहित रावण इसके मुख्य किरदार होते हैं. लेकिन, रामायण में शूर्पणखा का किरदार भी महत्वपूर्ण माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि अगर शूर्पणखा न होती तो यह रामायण भी नहीं होती, क्योंकि रामायण के युद्ध की नींव तभी पड़ गई थी जब लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाक काटी थी. तो आज हम आपको यहां शूर्पणखा के बारे में विस्तार से बताएंगे.

शूर्पणखा के मन में थी प्रतिशोध की भावना

रामायण के मुताबिक, शूर्पणखा ने अपने पसंद के व्यक्ति विद्युतजिह्वा से विवाह किया था, जो राजा कालकेय का सेनापति था. लेकिन रावण ने युद्ध में विद्युतजिह्वा का वध कर दिया, जिससे शूर्पणखा की जिंदगी पूरी तरह से बदल गई. पति की मृत्यु के बाद शूर्पणखा ने अपना जीवन लंका और दक्षिण भारत के जंगलों में बिताया और कुछ समय के लिए अपने रिश्तेदारों खर और दूषण के साथ भी रही.

अपनी पति की मृत्यु के बाद शूर्पणखा अपने ही भाई रावण से बदला लेना चाहती थी. लेकिन, वह कहीं न कहीं रावण की असीम शक्तियों से भी परिचित थी. कुछ समय बाद, जब शूर्पणखा ने श्रीराम की शक्तियों के बारे में जाना तो उसके मन में बदले की इच्छा दोबारा से जाग उठी थी. इसलिए, उसने राम और अपने भाई रावण के बीच दुश्मनी का बीज बोकर युद्ध कराने का काम किया. इस वजह से लंकापति रावण ने राम की पत्नी माता सीता का अपहरण किया और अंत में श्रीराम के हाथों का रावण का वध भी हुआ.

किस कारण से शूर्पणखा ने कराई थी श्रीराम और रावण में दुश्मनी?

रामचरितमानस के मुताबिक, शूर्पणखा श्रीराम के रूप पर मोहित हो गई थी और उनसे विवाह करना चाहती थी. लेकिन, राम तो मर्यादा पुरुषोत्तम थे. इसके बाद भी जब शूर्पणखा अपनी जिद पर अड़ी रही तो लक्ष्मण ने उसे रोकने का प्रयास किया. और जब वो नहीं मानी तो लक्ष्मण ने उसकी नाक काट दी.

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