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स्विट्ज़रलैंड जाने का नहीं है बजट, घूम आइये हिमाचल के ‘मिनी स्विट्ज़रलैंड खज्जियार – Mini Switzerland of India himachal Khajjiar Travel Guide


अगर आपने कभी स्विट्ज़रलैंड की बर्फीली चोटियों और हरी-भरी वादियों का सपना देखा है, तो महंगी टिकट और लंबी यात्रा की चिंता छोड़ दीजिए. हिमाचल प्रदेश के चंबा ज़िले में एक घाटी है, जो प्राकृतिक सुंदरता के मामले में स्विट्ज़रलैंड जैसी दिखती है. यहां हरे-भरे मैदान, घने देवदार के जंगल और शांत झीलें हैं, जो हर पर्यटक को सुकून और रोमांच दोनों का अनुभव कराती हैं.

1992 में स्विस चांसलर विली ब्लेज़र ने इस घाटी की यात्रा की और उसकी खूबसूरती देखकर इसे ‘मिनी-स्विट्ज़रलैंड’ का नाम दिया था. खज्जियार की यह प्राकृतिक छटा हर मौसम में मंत्रमुग्ध कर देती है. अगर आप कम खर्च में स्विट्ज़रलैंड जैसी शांति और खूबसूरती चाहते हैं, तो खज्जियार की ओर रुख कीजिए और हिमाचल की इस जादुई घाटी का आनंद उठाइए.

खज्जियार: मिनी-स्विट्ज़रलैंड कैसे बना?

खज्जियार का यह नाम किसी प्रचार या विज्ञापन से नहीं मिला. दरअसल 7 जुलाई, 1992 को जब स्विस चांसलर विली ब्लेज़र यहां पहुंचे, तो घाटी की प्राकृतिक सुंदरता देखकर वह दंग रह गए. उन्होंने कहा कि यह जगह स्विट्ज़रलैंड के बर्न शहर जैसी शांत और मनमोहक है. अपनी तारीफ़ को यादगार बनाने के लिए उन्होंने खज्जियार से बर्न की दूरी बताने वाला साइनबोर्ड लगवाया और स्विस संसद में लगाने के लिए खज्जियार का एक पत्थर भी साथ ले गए. यह घटना साबित करती है कि हिमाचल की यह घाटी सचमुच जादुई है.

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देवदार के जंगल और खज्जियार झील का जादू

समुद्र तल से करीब 2000 मीटर ऊंचाई पर बसा खज्जियार प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग है. घने देवदार के जंगल, हरे-भरे मैदान और बीच में शांत खज्जियार झील, घाटी के दिल की तरह हैं. इतना ही नहीं धुंध भरी सुबह में जब धौलाधार पर्वत श्रृंखलाएं झांकती हैं, तो दृश्य किसी पेंटिंग से कम नहीं लगता. इसके इलावा झील के किनारे बैठकर आप घंटों प्रकृति को निहार सकते हैं, बच्चों से लेकर बड़ों तक हर कोई यहां मंत्रमुग्ध हो जाता है. ऐसे में अगर आप शांत वातावरण में मन को सुकून देना चाहते हैं, तो खज्जियार का यह नज़ारा आपके दिल को छू जाएगा.

धार्मिक विरासत और मंदिर

खज्जियार सिर्फ़ अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए ही नहीं, बल्कि धार्मिक विरासत के लिए भी प्रसिद्ध है. यहां झील के पास स्थित खज्जियार नाग मंदिर को 12वीं सदी में चंबा के राजा प्रीति सिंह ने बनवाया था. इस मंदिर में नाग देवता और भगवान शिव की मूर्तियां हैं, साथ ही पांडव और कौरवों की पत्थर पर नक्काशी की गई आकृतियां भी देखी जा सकती हैं. इसके अलावा, जगदम्बा मंदिर परिसर में भगवान शिव की 85 फुट ऊंची कांस्य प्रतिमा भी स्थापित है, जो देवदार के घने पेड़ों के बीच खड़ी होकर आने वाले लोगों को आध्यात्मिक शांति का अनुभव कराती है.

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एडवेंचर और प्रकृति का संगम

खज्जियार में सिर्फ़ बैठकर शांत वातावरण का आनंद लेना ही नहीं, बल्कि कई गतिविधियां भी उपलब्ध हैं.

कालाटोप वन्यजीव अभयारण्य: खज्जियार से 16 किमी दूर फैले इस अभयारण्य में घने देवदार और ओक के जंगल हैं. यहां ट्रेकिंग करना बहुत लोकप्रिय है. इसके अलावा यहां हिमालयी भालू, तेंदुआ, उड़ने वाली गिलहरी जैसी वन्यजीव प्रजातियां देखने को मिलती हैं.

डैनकुंड चोटी: 2,755 मीटर ऊंचाई पर स्थित यह डलहौजी की सबसे ऊंची चोटी है. इसे ‘गायन चोटी’ भी कहा जाता है, क्योंकि पेड़ों के बीच से बहती ठंडी हवा संगीत जैसी मधुर ध्वनियां उत्पन्न करती है.

एडवेंचरस गेम: यहां पर्यटक पैराग्लाइडिंग, ज़ोर्बिंग, घुड़सवारी और ट्रैकिंग का मज़ा ले सकते हैं. इसके अलावा यहां बच्चों के लिए भी अलग ट्रैकिंग पथ बनाए गए हैं.

घूमने का सही समय

खज्जियार की ठंडी सर्दियां स्विट्ज़रलैंड की याद दिलाती हैं. लेकिन अगर आप मौसम और साफ़ आसमान का मज़ा लेना चाहते हैं, तो अप्रैल से जून का समय सबसे अच्छा है. सितंबर से नवंबर के दौरान घाटी हरी-भरी हो जाती है और हल्की ठंड शुरू हो जाती है, जो दृश्य को और मनमोहक बना देती है.

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