यह बॉर्डर ख़तरनाक इसलिए है, क्योंकि पांव के नीचे ज़मीन की कोई गारंटी नहीं है. कहां धरती ठोस है और कहां अचानक आपको निगलने को आतुर, पता नहीं चलता. यहां पर गर्म हवाएं चलती हैं और छोटे-छोटे क्रीक हैं, जिनमें नावों का जाना संभव नहीं है, इसलिए जवान पैदल ही इसे पार करते हैं.
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