अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 20-सूत्रीय गाजा पीस प्लान को लेकर दुनिया भर में उम्मीदें जगी थीं. इस पर इजरायल ने सहमति जताई और पाकिस्तान व कतर सहित आठ मुस्लिम और अरब देशों ने 30 सितंबर को इसका समर्थन भी कर दिया. लेकिन अब खुलासा हुआ है कि समझौते के लास्ट मिनट्स पर ट्रंप और नेतन्याहू ने पहले से तय शर्तों में बदलाव कर दिया है.
अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, फिलिस्तीनी संगठन हमास को जो प्रस्ताव पेश किया गया था, उसमें ये बदलाव इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के हस्तक्षेप के बाद किए गए हैं. ऐसे में अब कतर, जो हमास के साथ मुख्य मध्यस्थ है, इन बदली हुई शर्तों पर फिर से चर्चा की मांग कर रहा है.
अमेरिकी मीडिया आउटलेट एक्सियोस ने बताया, “नेतन्याहू के हस्तक्षेप के कारण, हमास के सामने अब जो समझौता है, वह अमेरिका और अरब व मुस्लिम देशों के एक समूह द्वारा पहले तय किए गए समझौते से काफी अलग है.”
एसोसिएटेड प्रेस ने भी बताया कि अरब और मुस्लिम देशों द्वारा ट्रंप के साथ तैयार किए गए मूल प्रस्ताव में बदलाव किए गए हैं. इसमें कहा गया है कि इसके मूल पाठ को इजरायल के पक्ष में बदल दिया गया है.
गाजा पीस प्लान के प्रस्ताव में बदलाव के आरोप ऐसे समय में लगे हैं जब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने हमास को 3 से 4 दिन की समय सीमा दी है. उन्होंने साफ कहा है कि अगर हमास इस समझौते पर प्रतिक्रिया नहीं देता, तो उसे भारी विनाश का जोखिम उठाना पड़ेगा. यानी यह शांति योजना हमास के लिए एक तरह से अल्टीमेटम बन गई है.
किन देशों ने किया समर्थन?
30 सितंबर को आठ मुस्लिम और अरब देशों- मिस्र, जॉर्डन, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, तुर्की, इंडोनेशिया और पाकिस्तान ने एक संयुक्त बयान जारी कर ट्रंप की योजना का समर्थन किया. लेकिन अगले ही दिन यह खुलासा हुआ कि हमास को जो शांति प्रस्ताव दिया गया, उसके अहम हिस्से बदल दिए गए हैं.
समझौते पर दो जगहों पर हुई थी चर्चा
समझौते को अंतिम रूप देने के लिए 29 सितंबर को दो जगहों वाशिंगटन डीसी और दोहा पर एक साथ चर्चाएं हो रही थीं. एक्सियोस ने एक सूत्र के हवाले से बताया कि जब ट्रंप और नेतन्याहू व्हाइट हाउस में इसके विवरण पर चर्चा कर रहे थे, उसी दौरान कतर के प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी दोहा में हमास नेताओं के सामने इसे प्रस्तुत कर रहे थे.
ट्रंप ने नेतन्याहू को थानी को फोन करके कतर में हुए हालिया हमले के लिए माफी मांगने के लिए कहा था. यह हमला हमास के उन अधिकारियों पर लक्षित था, जिनकी कतर वर्षों से मेजबानी कर रहा था. सार्वजनिक माफी के बाद कतर ने हमास के साथ वार्ताकार के रूप में अपने प्रयासों को फिर से शुरू कर दिया.
गाजा पीस प्लान में क्या बदलाव किए गए हैं?
द टाइम्स ऑफ इजरायल के अनुसार, नेतन्याहू गाजा से इजरायली रक्षा बलों (आईडीएफ) की वापसी और हमास के निरस्त्रीकरण से संबंधित ट्रंप के प्रस्ताव में आखिरी समय में महत्वपूर्ण बदलाव करवाने में कामयाब रहे.
मूल योजना में कहा गया था कि इजरायली सेनाएं अपनी युद्ध रेखा पर लौट जाएंगी और बंधकों की रिहाई की तैयारी होगी. लेकिन बदले हुए संस्करण में लिखा गया कि इजरायली सेनाएं सहमति वाली नई रेखा तक ही लौटेंगी. इसका मतलब यह हुआ कि सेना गाजा के बड़े हिस्से में बनी रह सकती है.
इसी तरह, मूल समझौते में यह प्रावधान था कि हमास के शांतिपूर्ण रहने वाले सदस्यों को माफी दी जाएगी. लेकिन बदलकर यह कर दिया गया कि उन्हें अपने हथियार भी डालने होंगे. यानी यह शर्त हमास के लिए कहीं ज्यादा कठोर है.
मुस्लिम देशों की नाराजगी
इन बदलावों से कई मुस्लिम देश नाराज हैं. सऊदी अरब, मिस्र, जॉर्डन और तुर्की के अधिकारियों ने इन बदलावों पर आपत्ति जताई है. एक्सियोस की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कतर, जिसने वार्ता में अहम भूमिका निभाई है, ने तो यह तक कोशिश की कि व्हाइट हाउस इस योजना को सार्वजनिक ही न करे, ताकि विवाद न बढ़े. लेकिन ट्रंप प्रशासन ने इसे जारी कर दिया और मुस्लिम देशों को मजबूरी में समर्थन करना पड़ा.
अब इन देशों के नेताओं पर आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने फिलिस्तीन के अधिकारों से समझौता किया और राजनीतिक लाभ के लिए गाजा संकट का सौदा कर दिया. कई आलोचकों ने उन्हें उम्माह के गद्दार यानी कौम के गद्दार तक कह दिया.
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