दिल्ली के सरकारी स्कूलों में अब छात्रों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस), वीर सावरकर, श्यामा प्रसाद मुखर्जी और सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में पढ़ाया जाएगा. दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने मंगलवार को ‘राष्ट्रनीति’ योजना का ऐलान करते हुए यह जानकारी दी.
आशीष सूद ने क्या कहा?
उन्होंने कहा कि सलेबस में आरएसएस को शामिल करने करने का मकसद छात्रों को सामाजिक जिम्मेदारियों और देश के लिए उनके मौलिक कर्तव्यों (fundamental duties) के प्रति जागरुक करना है. कक्षा 1 से 12 तक के छात्रों के लिए डिजाइन किया गया यह प्रोग्राम उनमें नैतिक शासन, सिविक सेंस और देश के प्रति सम्मान की भावनाएं जगाएगा.
सेलेबस में क्या पढ़ेंगे छात्र?
सलेबस में आरएसएस की शुरुआत और इतिहास, सिद्धांतों और समाज सेवा और आपदा राहत में भागीदारी पर चैप्टर शामिल हैं. इसके अलावा देश के स्वतंत्रता संग्राम में इस संगठन की भूमिका के बारे में भी पढ़ाया जाएगा.
गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों के लिए अलग सेक्शन
छात्र आरएसएस और उसके मूल संगठन हिंदू महासभा से जुड़े प्रमुख नेताओं जैसे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, वीर सावरकर और तत्कालीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के योगदान के बारे में पढ़ेंगे. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों के लिए एक अलग सेक्शन होगा.
अभी तक क्या हुआ?
योजना की तैयारी शुरू हो चुकी है, शिक्षकों के लिए लेसन प्लान, और पढ़ाने के रिसोर्स और स्ट्रैटेजी तैयार है. स्टेट काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एससीईआरटी) में उन्हें ट्रेनिंग दी जा रही है. हालांकि कौन सी कक्षाओं से योजना की शुरुआत की जाएगी, इसपर निर्णय होना बाकी है.
कब हुई योजना की शुरुआत?
राष्ट्रनीति शिक्षा योजना को दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने 18 सितंबर 2025 को भारत मंडपम में नमो विद्या उत्सव के तहत शुंरू किया था. इसका उद्देश्य छात्रों को लोकतंत्र, शासन और बेहतर नागरिकता की प्रैक्टिकल जानकारी देना है.
आम आदमी पार्टी ने किया जताया विरोध
वहीं आम आदमी पार्टी ने दिल्ली सरकार के इस प्रस्ताव पर आरएसएस पर निशाना साधा है. पार्टी के दिल्ली अध्यक्ष सोरभ भारद्वाज ने एक बयान में कहा कि आरएसएस को लेकर झूठ नही, बल्कि उसका सही इतिहास पढ़ाया जाना चाहिए.
उन्होंने देश के स्वतंत्रता संग्राम में आरएसएस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि साल 1915 में हिंदू महासभा की शुरुआत हुई थी, जिसके 10 साल बाद आरएसएस की नींव रखी गई.
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