उत्तर प्रदेश के मथुरा में विशेष फास्ट-ट्रैक कोर्ट ने एक व्यक्ति को विवाह का झांसा देकर यूरोपियन महिला के साथ बलात्कार और ठगी करने के मामले में 10 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई. आरोपी की मां को भी इस अपराध में मदद करने के लिए 5 साल की सजा दी गई. कोर्ट ने आरोपी और उसकी मां पर क्रमशः 7.90 लाख और 5.90 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया.
क्या है पूरा मामला?
पीड़िता ने 2018 में मथुरा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के पास शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत में बताया गया कि हरेंद्र कुमार, उसके माता-पिता, पत्नी और मित्र ने उसे धोखा दिया और शारीरिक व मानसिक शोषण किया. महिला 2009 में अपने संरक्षक भाई सरबजीत मंगु सिंह के साथ आध्यात्मिक साधना के लिए मथुरा आई थी.
विवाह का झांसा और 1 करोड़ की ठगी
पीड़िता का हरेंद्र कुमार से संपर्क हुआ, जिसने खुद को अविवाहित बताया और शादी का प्रस्ताव रखा. उसने अपने घर में प्रतीकात्मक विवाह समारोह कर महिला को विश्वास में लिया. धीरे-धीरे उसने नकली निवेश दस्तावेज दिखाकर महिला से लगभग 1 लाख यूरो (भारतीय रुपये में एक करोड़ से ज्यादा) की ठगी की, जिसे कैश और एटीएम ट्रांजैक्शन के माध्यम से निकालवाया गया.
ऐसे हुआ सच्चाई का खुलासा?
जांच में पता चला कि हरेंद्र पहले से ही विवाहित था और उसके परिवार के सदस्य भी इस धोखाधड़ी में सक्रिय रूप से शामिल थे. मुकदमे के दौरान हरेंद्र और उसकी मां के खिलाफ मामला फास्ट-ट्रैक कोर्ट में ट्रांसफर किया गया. 22 सितंबर को अदालत ने दोनों को दोषी ठहराया और सोमवार को सजा सुनाई.
हरेंद्र के पिता और पत्नी के खिलाफ मामले को अलग कर दिया गया क्योंकि वे अदालत में पेश नहीं हुए. पहले दिए गए जमानत को रद्द करते हुए अदालत ने लीला देवी से तुरंत आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया.
कोर्ट ने क्या कहा?
अदालत ने स्पष्ट किया कि ऐसे अपराधों में कानून सख्ती से कार्य करेगा और पीड़ितों के हक को सुनिश्चित किया जाएगा. इस मामले से यह भी स्पष्ट हुआ कि धोखाधड़ी और यौन अपराध में परिवार के सदस्य की भूमिका गंभीर जुर्म बनाती है.
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