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इलेक्ट्रीशियन का बेटा बना देश का हीरो… संघर्षों से भरी है तिलक वर्मा की कहानी – son of an electrician became the hero of the country Tilak Varma struggle story asia cup ind vs pak ntcpas


एशिया कप फाइनल में तिलक वर्मा की पारी लंबे समय तक याद रखी जाएगी. पाकिस्तान के सामने दबाव की स्थिति में तिलक वर्मा एक छोर पर टिके रहे और मैच को फिनिश करके लौटे. इस ऐतिहासिक पारी के बाद तिलक वर्मा को हीरो की तरह पेश किया जा रहा है. लेकिन क्या आपको पता है कि साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले तिलक और उनके परिवार ने क्रिकेट की ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए कई मुश्किलों का सामना किया है. एक इलेक्ट्रीशियन के बेटे तिलक का प्रोफेशनल क्रिकेट खेलना तय नहीं था, लेकिन एक कोच के अटूट समर्थन ने उन्हें महानता की राह पर ला खड़ा किया. आइए जानते हैं तिलक वर्मा की कहानी…

हैदराबाद के तिलक वर्मा की कहानी

8 नवंबर 2002 को हैदराबाद में जन्मे तिलक साधारण परिवार से थे. उनके पिता नमबूरी नागराजू इलेक्ट्रीशियन थे, जबकि मां गायत्री देवी गृहिणी. बचपन से ही तिलक के लिए क्रिकेट खेल मात्र शौक नहीं, बल्कि जुनून था. उनके पिता के अनुसार, तिलक हमेशा प्लास्टिक बैट साथ रखते और रात में भी उसे अपने पास रखकर सोते.

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लेकिन आर्थिक तंगी ने क्रिकेटर बनने के सपनों पर संकट डाल दिया. यह स्थिति तब बदली जब कोच सलाम बायश ने बरकस में टेनिस बॉल मैच खेलते हुए तिलक को देखा. उनके टाइमिंग और हैंड-आई कोऑर्डिनेशन से प्रभावित होकर बायश ने पूछा कि वे अकादमी में क्यों नहीं खेल रहे. जवाब सीधा था- परिवार फीस नहीं उठा सकता.

इसके बाद बायश ने खुद जिम्मेदारी ली. उन्होंने माता-पिता को मनाया और वादा किया कि सारे खर्चे वे खुद उठाएंगे.

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40 किमी का सफर कर ट्रेनिंग के लिए जाते थे तिलक

शुरुआत में तिलक रोज़ 10 किमी सफर कर बायश से मिलते और फिर दोनों मिलकर 40 किमी दूर सेरिलिंगमपल्ली स्थित अकादमी जाते. थकाऊ सफर देखकर बायश ने परिवार को अकादमी के पास शिफ्ट होने को कहा. हिचकिचाहट के बाद परिवार मान गया.

2013 से शुरू हुआ सपने को हकीकत बनाने की सिलसिला

2013 में तिलक ने औपचारिक ट्रेनिंग शुरू की. एक साल के भीतर ही वे लोकल टूर्नामेंट्स में छा गए. 2014 में हैदराबाद की U14 टीम में जगह बनाई. शुरुआती असफलताओं और टीम से बाहर होने के बावजूद, कोच के भरोसे और कड़ी मेहनत ने उन्हें वापसी करवाई.

12 घंटे अभ्यात करते थे तिलक

तिलक की मेहनत अलग ही थी. वे रोज 12 घंटे से ज्यादा अभ्यास करते. उन्होंने U16 और U19 स्तर पर हैदराबाद का प्रतिनिधित्व किया. कूच बिहार और विनू मांकड़ ट्रॉफी में उनके प्रदर्शन ने राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई.

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रणजी और आईपीएल का सफर

2020 में तिलक ने रणजी ट्रॉफी में हैदराबाद से डेब्यू किया. अगले दो सीज़न में वे भरोसेमंद मिडिल-ऑर्डर बल्लेबाज बन गए. उनकी लगातार परफॉर्मेंस ने आईपीएल स्काउट्स का ध्यान खींचा.

फरवरी 2022 में मुंबई इंडियंस ने उन्हें 1.7 करोड़ रुपये में खरीदा. डेब्यू सीज़न में उन्होंने 14 मैचों में 397 रन बनाए. 2023 में भी उन्होंने 343 रन बनाए. खासकर स्पिन के खिलाफ उनका आत्मविश्वास उन्हें अनकैप्ड भारतीय बल्लेबाजों में सबसे अलग बनाता था.

इन निरंतर प्रदर्शनों ने उन्हें 2023 वेस्टइंडीज़ दौरे पर भारतीय टी20 टीम में जगह दिलाई. डेब्यू मैच में 22 गेंदों पर 39 रन और दूसरे टी20 में 51 रन बनाकर सबका ध्यान खींचा.

एशिया कप 2025: करियर का टर्निंग पॉइंट

2025 एशिया कप ने उनकी किस्मत बदल दी. पाकिस्तान के खिलाफ हाई-वोल्टेज फाइनल में उन्होंने दबाव में शानदार बल्लेबाजी की और मैच जितवाया. इस पारी ने न केवल भारत को खिताब दिलाया, बल्कि तिलक को विश्व क्रिकेट में “जनरेशनल टैलेंट” बना दिया.

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