इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू सोमवार, 29 सितंबर को अमेरिका पहुंचे जहां उनसे बातचीत के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नया गाजा प्लान पेश किया. गाजा में शांति स्थापित करने को लेकर ट्रंप के नए फैसले के बाद नेतन्याहू इजरायल लौटे हैं और मंगलवार शाम को कैबिनेट की बैठक में शामिल होंगे. यह बैठक नेतन्याहू के लिए आसान नहीं होने वाली है क्योंकि यहां उन्हें अपनी सरकार के सहयोगी मंत्रियों के गुस्से का सामना करना पड़ेगा.
नेतन्याहू की गठबंधन सरकार में सहयोगी धुर-दक्षिणपंथी नेता इतमार बेन-ग्वीर और बेजलेल स्मोट्रिच पहले ही उनसे खुन्नस खाए बैठे हैं और अब गाजा प्लान को लेकर इनका गुस्सा सातवें आसमान पर है.
दोनों ही कट्टर दक्षिणपंथी राजनेता हैं और दोनों ही सोचते हैं कि समझौता कमजोरी का संकेत है. बेन-ग्वीर और स्मोट्रिच दोनों ही नेतन्याहू के कतर से माफी मांगने को लेकर पूरी तरह क्रोधित हैं. दरअसल, हमास नेताओं को निशाना बनाते हुए कतर की राजधानी दोहा पर इजरायल ने हमला कर दिया था जिससे अरब दुनिया में भारी नाराजगी थी.
कतर अरब दुनिया में अमेरिका का सबसे अहम सहयोगी है और इसलिए दबाव में नेतन्याहू को कतर पर हमले के लिए माफी मांगनी पड़ी थी. नेतन्याहू के इस फैसले से उनके सहयोगी धुर-दक्षिणपंथी नेता बेहद नाराज हैं.
कतर पर नेतन्याहू ने मांगी माफी तो ग्वीर ने क्या कहा?
बेन-ग्वीर ने कतर पर हमले को लेकर नेतन्याहू की माफी पर भड़कते हुए कहा कि ‘यह शर्म की बात नहीं, बल्कि एक जरूरी, न्यायसंगत और नैतिक हमला था… कतर एक ऐसा देश है जो आतंकवाद को समर्थन देता है, आतंकवाद को फंड करता है और आतंकवाद को उकसाता है.’
स्मोट्रिच ने इससे भी आगे बढ़कर नेतन्याहू की तुलना नेविल चेम्बरलिन की नाजियों के प्रति समझौते से की और कहा कि उनका माफी मांगना अपमानजनक कदम था.
ब्रिटिश टीवी नेटवर्क स्काई न्यूज में मध्य-पूर्व के संवाददाता एडम पारसन्स ने एक लेख लिखा है जिसमें वो कहते हैं कि अगर उनके धुर-दक्षिणपंथी सहयोगी उनका साथ छोड़ दें तो नेतन्याहू की सरकार गिर सकती है.
लेकिन अगर दोनों कानून का विरोध करते भी हैं तो गाजा का पीस प्लान खतरे में नहीं पड़ेगा क्योंकि इस प्लान को इजरायली संसद में कानून बनाने के लिए पर्याप्त विपक्षी दलों का समर्थन मिलेगा.
सरकार नहीं गिरेगी लेकिन चुनाव में नेतन्याहू को आएगी मुश्किल
हालांकि, इससे नई आम चुनाव की प्रक्रिया तेज हो जाएगी जिसमें नेतन्याहू खुद को उस नेता के रूप में पेश करेंगे जो बंधकों को वापस लाने में सफल रहे और उनके विरोधी उन्हें उस व्यक्ति के रूप में पेश करेंगे जिसने 7 अक्टूबर की घटना अपने कार्यकाल में होने दी.
7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इजरायल पर हमला कर कम से कम 1,200 लोगों की हत्या कर दी थी और 250 से ज्यादा लोगों को बंधक बना लिया था.
गाजा प्लान को लेकर इजरायल में भले ही नेतन्याहू के सहयोगी और कई लोग उनकी आलोचना हो रही हैं लेकिन उनके बहुत से समर्थक भी हैं. इजरायली राष्ट्रपति इसहाक हर्जोग ने गाजा प्लान की सराहना की और बंधकों के परिवारों का प्रतिनिधित्व करने वाले फोरम ने भी.
अरब देशों के नेताओं ने कहा कि वे गाजा प्लान का स्वागत करते हैं, हालांकि, उन्होंने इस सफलता का श्रेय डोनाल्ड ट्रंप को दिया, न कि इजरायली प्रधानमंत्री को.
अगर हमास बंधकों को नहीं छोड़ता तो क्या करेंगे नेतन्याहू?
लेकिन फिर गाजा प्लान को लेकर हमास की प्रतिक्रिया नेतन्याहू के इरादों पर पानी फेर सकती है. हमास की शुरुआती प्रतिक्रिया बताती है कि योजना को दुनिया के सामने घोषित करने से पहले उन्हें भेजा तक नहीं गया था.
हमास का कहना है कि वो ऐसे किसी भी प्रस्ताव को नहीं मानेंगे जो फिलिस्तीनी आत्मनिर्णय के अधिकार को शामिल न करे. और नए गाजा प्लान में साफ तौर से ये बात शामिल नहीं है.
इजरायली बंधक हमास के पास हैं. और बंधकों का मुद्दा ही इजरायल की जनता को सबसे अधिक प्रभावित करता है. और अगर हमास को समझौता पसंद नहीं आता तो वो बंधकों को वापस नहीं करेंगे.
जहां तक गाजा के प्रशासन का सवाल है- फिलिस्तीनियों के बीच ट्रंप और टोनी ब्लेयर नेतृत्व टीम को लेकर काफी कम समर्थन है. चर्चा है कि ब्लेयर गाजा इंटरनेशनल ट्रांजिशनल अथॉरिटी (GITA) के चेयर बन सकते हैं. GITA अस्थायी तौर पर गाजा के पुनर्निर्माण की देखरेख करेगी और बाद में इसे फिलिस्तीनी अथॉरिटी (PA) को सौंप देगी.
लगभग दो दशकों से फिलिस्तीनी विधानमंडल में शामिल मुस्तफा बारघौती ने कहा, ‘टोनी ब्लेयर एक युद्ध अपराधी हैं जिन्हें हेग (इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट) में होना चाहिए, गाजा में नहीं.’
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