नई दिल्ली के सुभाष पार्क में भारतीय वायुसेना (IAF) के सेमिनार में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 30 सितंबर 2025 को संबोधित किया. सेमिनार का विषय था ‘संयुक्तता बढ़ाना – निरीक्षण, ऑडिट, विमानन मानक और एयरोस्पेस सुरक्षा में साझा सीख से तालमेल. उन्होंने कहा कि आधुनिक युद्ध और खतरे संयुक्तता को जरूरी बनाते हैं. यह सिर्फ नीति नहीं, बल्कि जीवित रहने का सवाल है.
इस सेमिनार में सीडीएस जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह, डीजी (इंस्पेक्शन एंड सेफ्टी) एयर मार्शल मकरंद रानाडे, वरिष्ठ अधिकारी, ICG, BSF, DGCA और पूर्व सैनिक मौजूद थे.
ऑपरेशन सिंदूर: संयुक्तता की जीती हुई मिसाल
रक्षा मंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र किया. इसमें तीनों सेनाओं का तालमेल कमाल का था. एकीकृत रीयल-टाइम ऑपरेशनल पिक्चर से कमांडरों ने समय पर फैसले लिए. स्थिति की समझ बढ़ी और अपने ही सैनिकों पर गलती का खतरा कम हुआ.
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IAF का IACCS, सेना का अकाशतीर और नौसेना का त्रिगुण एक साथ काम कर एक मजबूत जोड़ बने. उन्होंने कहा कि यह संयुक्तता का जीता-जागता उदाहरण है. भविष्य के सभी ऑपरेशन का बेंचमार्क बनेगा.
संयुक्तता क्यों जरूरी? बदलते युद्ध का जवाब
राजनाथ सिंह ने कहा कि युद्ध का स्वरूप बदल गया है. पारंपरिक और गैर-पारंपरिक खतरे जटिल हैं. जमीन, समुद्र, हवा, स्पेस और साइबर में अलग-अलग काम नहीं चलेगा. संयुक्त ताकत ही जीत की गारंटी है. कोलकाता के संयुक्त कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी संयुक्तता पर जोर दिया. सरकार का लक्ष्य तीनों सेनाओं में तालमेल बढ़ाना है.
डिजिटल सिस्टम: लॉजिस्टिक्स में नई ताकत
रक्षा मंत्री ने डिजिटल प्रगति की तारीफ की. सेना का CICG, वायुसेना का IMMOLS और नौसेना का ILMS लॉजिस्टिक्स को बदल चुके हैं. इससे ऑटोमेशन, जवाबदेही और पारदर्शिता आई. उन्होंने तीनों सेनाओं के लॉजिस्टिक्स ऐप की घोषणा की. यह सिस्टम स्टॉक की साझा जानकारी देगा, संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल करेगा और दोहराव कम करेगा.
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ज्ञान साझा करें: अलगाव खत्म हो
उन्होंने कहा कि दशकों से हर सेना ने अपनी-अपनी प्रथाएं बनाईं. हिमालय की ठंड, रेगिस्तान की गर्मी, जंगल, समुद्र या आसमान – हर जगह का अनुभव अलग था. लेकिन यह ज्ञान एक सेना तक सीमित रह गया. सेना ने कुछ बनाया तो सेना के पास ही रहा. नौसेना या वायुसेना का भी वही हाल. यह अलगाव सीखने को रोकता है. अब खुले साझा और सामूहिक सीख जरूरी है. कोई सेना अकेले नहीं लड़ सकती. इंटरऑपरेबिलिटी और संयुक्तता सफलता की कुंजी है.
मानक एक करें: सुरक्षा में कोई चूक न हो
रक्षा मंत्री ने चेतावनी दी कि विमानन सुरक्षा और साइबर युद्ध में अलग मानक घातक हो सकते हैं. निरीक्षण में छोटी गलती बड़ा नुकसान कर सकती है. साइबर सिस्टम अलग होने पर दुश्मन फायदा लेगा. मानक एक करके कमजोरियां दूर करें. लेकिन हर सेना की खासियत का सम्मान करें. हिमालय की ठंड, रेगिस्तान की गर्मी जैसी नहीं. नौसेना की चुनौतियां सेना-वायुसेना से अलग. साझा आधार बनाएं, लेकिन अनोखापन बचाएं.
मन बदलें: संवाद से संयुक्तता
संयुक्तता के लिए स्ट्रक्चर बदलना ही काफी नहीं, सोच बदलनी होगी. सीनियर ऑफिसर अपनी टीमों को तालमेल का महत्व बताएं. पुरानी आदतें और संस्थागत दीवारें तोड़नी पड़ेंगी. चुनौतियां आएंगी, लेकिन संवाद, समझ और परंपराओं का सम्मान से पार पाएं. हर सेना दूसरी की मुश्किलें समझे.
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अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं से सीखें, लेकिन भारत के हिसाब से अपनाएं. दूसरों से सीखें, लेकिन जवाब भारतीय हों – हमारी भूगोल, जरूरत और संस्कृति के अनुसार. तभी सस्टेनेबल और भविष्य के हिसाब से सैन्य सिस्टम बनेंगे.
सरकार का वादा: सबको साथ लें
रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार संयुक्तता को हर तरह से समर्थन देगी. तटरक्षक (ICG), बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) और DGCA जैसी संस्थाओं को भी शामिल करें. तीनों सेनाएं एकसाथ, सामंजस्य से काम करें, तो हर क्षेत्र में दुश्मन को हराएंगे. भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे. यह समय की मांग है. हम सफल होंगे.
सेमिनार से मुख्य नतीजे
सेमिनार में निरीक्षण प्रक्रियाओं में सामान्यता पर सहमति बनी. विमानन में सेवाओं के बीच तालमेल बढ़ाने के अवसर तलाशे. संयुक्त एयरोस्पेस सुरक्षा सेशन में एकीकृत दृष्टिकोण पर जोर.
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