इजरायल डिफेंस फोर्स (IDF) ने हिज़्बुल्लाह के दो लड़ाकुओं को ढेर कर दिया है. इजरायल ने दावा किया है कि ये दोनों इजरायल के नागरिकों के खिलाफ आतंकवादी हमलों की साजिश रच रहे थे. यह कार्रवाई सोमवार को की गई. आईडीएफ (IDF) ने उत्तरी कमान के नेतृत्व में वायु सेना के विमानों का उपयोग करके हिज़्बुल्लाह के दोनों सदस्यों पर हमला किया.
मारे जाने वालों में सोहमोर इलाके में तोपखाने के कमांडर मोहम्मद अब्बास शशुआ और शकीफ इलाके की तोपखाना यूनिट के सीनियर मेंबर मुहम्मद हुसैन यासीन शामिल हैं.
इजरायली सेना ने दावा किया, “मोहम्मद अब्बास और शफीक दोनों आतंकी हाल ही में दक्षिण लेबनान में आतंकवादी बुनियादी ढांचे को फिर से स्थापित करने में शामिल थे.”
अब्बास शशुआ का आतंक और भूमिका
आईडीएफ के मुताबिक, आतंकवादी मोहम्मद अब्बास शशुआ दक्षिण लेबनान के सोहमोर क्षेत्र में तोपखाने का कमांडर था. पूरे युद्ध के दौरान, उसने किरियत शमोना और गोलान हाइट्स की ओर कई रॉकेट हमलों को आगे बढ़ाया. इसके अलावा, वह हाल ही में दक्षिण लेबनान में आतंकवादी बुनियादी ढांचों के स्थलों को फिर से स्थापित करने और आईडीएफ (IDF) सैनिकों के खिलाफ आतंकवादी हमलों को आगे बढ़ाने में शामिल था. आईडीएफ (IDF) ने इसे खत्म कर दिया है.
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यासीन की गतिविधियां और हथियारों की तस्करी
सोमवार को मारे गए हिज़्बुल्लाह के दूसरे लड़ाकू मोहम्मद हुसैन यासीन, हिज़्बुल्लाह के शकीफ इलाके की तोपखाना यूनिट में एक सीनियर सदस्य था. इजरायल के मुताबिक, पूरे युद्ध के दौरान उसने गैलील पैनहैंडल और किरियत शमोना की तरफ कई आतंकवादी हमलों को आगे बढ़ाया. वह अपने इलाके में संगठन की क्षमताओं के पुनर्वास और लिटानी नदी के दक्षिण में युद्ध सामग्री के हस्तांतरण (हथियार तस्करी) में भी शामिल था.
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