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नेपाल: पूर्व PM ओली समेत 5 लोगों के पासपोर्ट जब्त, काठमांडू छोड़ने पर भी लगी रोक  – former nepal PM Oli and four other people Passports seized ntc


नेपाल के अपदस्थ प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली, उनके गृह मंत्री रमेश लेखक और तीन अन्य अधिकारियों के पासपोर्ट फ्रीज कर दिए हैं. ये कार्रवाई इस महीने की शुरुआत में जेन-Z प्रदर्शनों को हिंसक तरीके से दबाने के संबंध में की गई है. सोमवार को काठमांडू के एक अस्पताल में इलाज के दौरान एक घायल प्रदर्शनकारी की मौत हो गई, जिससे दो दिनों के इन प्रदर्शनों में मृतकों की संख्या 76 हो गई है.

सुशीला कार्की के अंतरिम सरकार की प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने के कुछ दिनों बाद 21 सितंबर को कैबिनेट की बैठक में जेन-जेड प्रदर्शनों के दौरान सुरक्षा एजेंसियों द्वारा अत्यधिक बल प्रयोग की जांच के लिए न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया था, जिसमें मौतें हुई थीं. रविवार को उच्च स्तरीय न्यायिक आयोग ने ओली और चार अन्य के पासपोर्ट फ्रीज करने की सिफारिश की थी. गृह मंत्रालय ने आयोग की सिफारिश पर ये कदम उठाया.

अधिकारियों के अनुसार, पासपोर्ट फ्रीज का सामना करने वालों में तत्कालीन गृह सचिव गोकरण मणि दुवाडी, तत्कालीन राष्ट्रीय जांच विभाग प्रमुख हुतराज थापा और तत्कालीन काठमांडू के मुख्य जिला अधिकारी छबी रिजाल शामिल हैं. इन पांचों को देश छोड़ने की अनुमति नहीं होगी.

जवाबदेही सुनिश्चित करने को उठाया कदम

आयोग के अध्यक्ष गौरी बहादुर कार्की के अनुसार, जांच आगे बढ़ने के दौरान जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए ये फैसला लिया गया है. विजयादशमी त्योहार के बाद जांच आयोग शीर्ष अधिकारियों के बयान दर्ज करने की संभावना है, जिन्हें अधिकारियों की अनुमति के बिना काठमांडू घाटी छोड़ने से भी मना किया गया है.

CPN-UCL ने किया विरोध

इस बीच कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूएमएल (सीपीएन-यूएमएल) ने पासपोर्ट फ्रीज करने के खिलाफ अपनी आपत्ति जताई है. सीपीएन-यूएमएल सचिवालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, ‘सचिवालय बैठक इस राजनीतिक बदले की कार्रवाई पर गंभीर आपत्ति व्यक्त करती है.’

आपको बता दें कि 8 और 9 सितंबर को युवाओं ने नेपाली सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया जो बाद में हिंसक हो गया. युवा प्रदर्शनकारियों ने काठमांडू में संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, राष्ट्रपति भवन और प्रधानमंत्री आवास जैसे सरकारी भवनों में आग लगा दी. पुलिस की गोलीबारी में पहले ही दिन 19 युवाओं की मौत हो गई और कुल मृतकों की संख्या 75 तक पहुंच गई. इसके बाद भड़के प्रदर्शकारियों ने तत्कालीन नेपाली पीएम ओली के इस्तीफे की मांग करते हुए प्रदर्शन किए, जिससे ओली सरकार गिर गई.

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