दिल्ली पुलिस ने जबरन वसूली के एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश करते हुए आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इस गिरोह ने नरेला स्थित एक प्रॉपर्टी डीलर से 5 करोड़ रुपए की रंगदारी मांगी थी. धमकाने के मकसद से उसके ऑफिस के बाहर गोलियां चलवाई गई थीं. इस पूरी साजिश का मास्टरमाइंड ‘जोरा’ नामक व्यक्ति है, जो खुद को कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का भाई बताता है. ऑस्ट्रेलिया से गिरोह को नियंत्रित करता है.
पुलिस उपायुक्त (बाहरी उत्तर) हरेश्वर स्वामी के मुताबिक, गैंगस्टर जोरा ऑस्ट्रेलिया में बैठकर एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप से भारत में अपने गुर्गों के संपर्क में था. उसका आईपी एड्रेस पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया से जुड़ा मिला है. हालांकि, पुलिस को शक है कि वो वीपीएन का इस्तेमाल भी कर सकता है. पुलिस जांच में सामने आया कि जोरा अपने गुर्गों से टारगेट की तस्वीरें मंगवाता. लोकेशन पुख्ता करने के बाद शूटआउट के आदेश देता था.
14 सितंबर की रात नरेला के मेन सफियाबाद रोड पर स्थित प्रॉपर्टी डीलर के ऑफिस पर अचानक गोलीबारी की गई. दो हमलावर चोरी की मोटरसाइकिल पर आए और ताबड़तोड़ फायरिंग करते हुए फरार हो गए. इस घटना में एक व्यक्ति घायल हुआ. मौके से चार खाली कारतूस बरामद हुए. इसी दौरान शिकायतकर्ता को एक अंतरराष्ट्रीय नंबर से कॉल आया, जिसमें 5 करोड़ रुपए की मांग के साथ जान से मारने की धमकी दी गई.
शूटरों को दिया गया था पांच लाख का लालच
इस घटना के बाद नरेला थाने में भारतीय न्याय संहिता और आर्म्स एक्ट की धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया. इस मामले की गंभीरता को देखते हुए एक विशेष जांच टीम गठित की गई. तकनीकी निगरानी, सीसीटीवी फुटेज और खुफिया इनपुट के आधार पर पुलिस ने 18 सितंबर को 3 शूटरों को पकड़ा. इनकी पहचान दिनेश, सौरव और हेमंत उर्फ अक्षय के तौर पर हुई. इन्हें 5-5 लाख रुपए का लालच दिया गया था.
जोरा ने तैयार की पूरे ऑपरेशन की रूपरेखा
इसके बाद पुलिस ने क्रमवार कार्रवाई करते हुए अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार किया. इनमें हथियार सप्लायर आशीष त्यागी और वंश मलिक, ऑपरेशन हैंडलर राहुल उर्फ पिस्टल, फाइनेंसर संदीप उर्फ सनी और सचिन शामिल हैं. इन्हें दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से पकड़ा गया. पूछताछ में साफ हुआ कि पूरे ऑपरेशन की रूपरेखा जोरा ने तैयार की थी. राहुल उर्फ पिस्टल ने शूटरों को पनाह और संसाधन उपलब्ध कराए थे.
आईपैड में मौजूद है इस गिरोह का हर सबूत
हथियार और वाहन की व्यवस्था आशीष त्यागी और वंश मलिक ने की, जबकि पैसों का इंतजाम सनी और सचिन ने किया था. पुलिस ने आरोपियों से गोलीबारी में इस्तेमाल पिस्तौल, एक चोरी की बाइक और साजिश से जुड़े कई मोबाइल फोन बरामद किए हैं. इसके अलावा एक आईपैड और चैट रिकॉर्ड भी मिले हैं, जिनसे पूरे नेटवर्क की कड़ियां जुड़ती हैं. पुलिस अब इस गैंग के बाकी फरार साथियों की तलाश में जुटी है.
विदेश से ऑपरेट गैंग पुलिस के लिए बने सिरदर्द
इसके साथ ही इस गैंग के फंडिंग के स्रोत का पता लगाने और विदेश से संचालित इस नेटवर्क की गहराई तक जांच चल रही है. इस केस ने साफ कर दिया है कि जेल में बंद कुख्यात गैंगस्टरों के नाम का इस्तेमाल कर दिल्ली-एनसीआर में अब भी दहशत का माहौल बनाने की कोशिश हो रही हैं. विदेश से ऑपरेट हो रहे ऐसे गैंग दिल्ली पुलिस के लिए नई चुनौती बनकर उभर रहे हैं. हालांकि, पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है.
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