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Bareilly Violence: तौकीर रजा के चलते 15 साल पहले भी सुलग चुका है बरेली, 1 महीने लगा था कर्फ्यू, पीड़ितों ने बताई पूरी कहानी – Bareilly one month long curfew 15 years ago Violence due to Tauqeer Raza lclam


उत्तर प्रदेश का बरेली जिला एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है. वजह है बीते जुमे को यहां पर हुआ बवाल. जिस मौलाना तौकीर रजा के चलते भीड़ ने उपद्रव किया, उस मौलाना का इतिहास विवादों भरा है. तौकीर रजा के जहरीले भाषण ने 15 साल पहले भी बरेली शहर के अमन-चैन को आग लगाई थी. तब शहर में एक महीने तक कर्फ्यू लगा था. तत्कालीन बसपा सरकार ने रजा को गिरफ्तार भी किया था, लेकिन दो दिन बाद ही उसको रिहा करना पड़ा. इसके बाद शासन ने एसएसपी को हटा दिया था. 
 
बरेली के जिस बाजार में बारावफात के जुलूस के बाद दंगा-फसाद हुआ था वहां कई इलाकों में तोड़फोड़ आगजनी हुई थी. करीब 30 दुकानों को निशाना बनाया गया. बड़ी बात यह रही कि सभी दुकानें चिन्हित कर जलाई गई थीं. हिंदू व्यापारियों को निशाना बनाया गया था. आइए जानते हैं 15 साल पहले जिस इलाके में दंगा भड़का, वहां रहने वाले लोगों की जुबानी…

2 मार्च 2010 की तारीख, दिन मंगलवार. बरेली के प्रेम नगर थाना क्षेत्र के कुहाड़ापीर इलाके का वह चौराहा जहां पर बारावफात की जुलूस के लिए लोग जमा होते हैं. तब मौलाना तौकीर रजा ने बारावफात में इकट्ठा हुए लोगों के सामने एक भड़काऊ भाषण दिया था और उसके बाद पूरे इलाके में दंगा भड़क गया था. 

2010 दंगे के पीड़ित लोगों की जुबानी

सबसे पहले दंगाइयों ने मार्केट की सुरक्षा के लिए बनाई गई उस पुलिस चौकी को ही तहस-नहस कर दिया, जहां बारावफात के ड्यूटी में अन्य जिलों से पुलिसकर्मी बुलाकर तैनात किए गए थे. हालात ऐसे बेकाबू हुए कि प्रेम नगर थाना क्षेत्र की पुलिस चौकी कुहाड़ापीर तक में तोड़फोड़ व आगजनी की गई. चौकी में खड़ी पुलिसकर्मियों की गाड़ियों को फूंक दिया गया. 

बीते शुक्रवार को बरेली में हुए बवाल के बाद पुलिस ने किया लाठीचार्ज

इस दंगे में प्रेम नगर के पूरे इलाके को ही निशाना बनाया गया. तौकीर रजा के भड़काऊ भाषण के बाद गलियों से बलवाई हाथ में लाठी डंडे, पत्थर, पेट्रोल बम तलवार लेकर निकले और आगजनी तोड़फोड़ मारपीट करने लगे. इलाके के व्यापारी पवन अरोड़ा बताते हैं बारावफात के जुलूस के दौरान उनके ही एक मुस्लिम दोस्त ने उन्हें बुलाया था. वह घर पहुंचे तो अचानक उसे दोस्त ने कह दिया आप घर जाओ, मार्केट में लौटे तो दंगा फैल चुका था. पहली बार इलाके में धार्मिक हरे झंडे लगाए गए थे लेकिन हरे झंडे सिर्फ़ दूसरे सम्प्रदाय की दुकानों पर ही लगे थे. हिंदू दुकानों पर झंडे नहीं लगे थे. यही पहचान थी दंगाइयों को हिंदू दुकानों को निशाना बनाने का. 

इस पूरी मार्केट के सबसे बड़े गारमेंट व्यापारी प्रीत क्लॉथ हाउस और प्रीत साड़ी सेंटर के मालिक विजेंद्र पाल सिंह बताते हैं कि कैसे उनकी दुकानों को निशाना बनाया गया. दंगाइयों ने ऐसे ही एक अन्य बड़े रेस्टोरेंट को निशाना बनाया. व्यंजन रेस्टोरेंट के मालिक महेंद्र गुप्ता बताते हैं कि उन्होंने FIR तक दर्ज कराई, दो दिन के लिए तौकीर रजा को गिरफ्तार भी किया गया, लेकिन सरकार ने भीड़ के दबाव में आकर उसे छोड़ दिया. मार्च 2010 में बारावफात के जुलूस के बाद भड़काऊ भाषण से हुए फसाद में बरेली में 1 महीने तक कर्फ्यू लगा रहा. 

बरेली में में सुरक्षा कड़ी

बरेली अशांत, प्रदेश में थी बसपा सरकार 

जिस समय बरेली में दंगा हुआ, उस समय प्रदेश में बसपा सरकार थी. तब जिले के एसपी एमके विशाल थे, जो मौजूदा समय में डीजी होमगार्ड हैं. वहीं, मौजूदा समय के प्रमुख आशीष गोयल उस वक्त बरेली के डीएम थे. मार्च 2010 को मौलाना तौकीर रजा की गिरफ्तारी के बाद ही शहर के इस्लामिया मैदान में लोग इकट्ठा होने लगे. दबाव में आकर एसएसपी बरेली एमके विशाल को हटाया गया और राजीव सभरवाल को बरेली का नया एसपी बनाया गया. सरकार के इशारे पर पुलिस ने तौकीर रजा के खिलाफ 169 की कार्रवाई करते हुए उसे जेल से रिहा तक करवा दिया. 

बरेली में हुए इस दंगे में करीब 50 से ज्यादा FIR दर्ज हुई. पुलिस ने मौलाना को मुख्य साजिशकर्ता के तौर पर आरोपी बनाया. लेकिन बाद में उसे आरोप से भी बरी कर दिया. 10 मार्च 2024 को बरेली में एडीजे रहे रवि दिवाकर ने पुलिस की 169 की कार्रवाई को खारिज कर दिया और तौकीर रजा के खिलाफ NBW जारी किया. तौकीर रजा ने कोर्ट के द्वारा जारी किए गए NBW को हाई कोर्ट में चैलेंज किया. हाई कोर्ट ने तौकीर रजा की अपील पर सुनवाई करते हुए उसे फौरी राहत दी, अरेस्टिंग पर रोक लगाते हुए मौलाना तौकीर रजा को जिला अदालत से जमानत लेने का आदेश दिया. वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में ये मामला लंबित है. उत्तर प्रदेश सरकार तौकीर रजा पर 2010 के दंगों में साजिशकर्ता के तौर पर दर्ज हुए केस में सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ रही है. 

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