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बहू को किडनी देने वाली सास का गांव में फूल बरसाकर हुआ स्वागत, घर-घर बांटी गईं मिठाइयां – saas donated kidney to bahu welcomed with flowers in village sweet distributed door to door lclg


कहते हैं सास-बहू का रिश्ता अक्सर तकरार और तंज का प्रतीक माना जाता है, लेकिन एटा जिले के अश्विनी प्रताप सिंह परिवार ने इस सोच को बदलकर मिसाल कायम कर दी. बहू की जान बचाने के लिए अपनी एक किडनी दान करने वाली सास बीनम देवी जब गांव लौटीं तो मोहल्ले वालों ने फूल बरसाकर और मिठाइयां बांटकर उनका जोरदार स्वागत किया. हर कोई उनकी इस बलिदानी भावना को सलाम कर रहा है.

बीमारी से जंग की दास्तान

फर्रुखाबाद की रहने वाली पूजा की शादी नवंबर 2023 में एटा निवासी अश्विनी प्रताप सिंह से हुई थी. फरवरी 2024 में बेटी को जन्म देने के दौरान अचानक उसके पेट में गंभीर संक्रमण फैल गया. यह संक्रमण इतना बढ़ा कि उसकी दोनों किडनियां 75% तक खराब हो गईं. परिवार कानपुर से लेकर कई बड़े अस्पतालों तक दौड़ता रहा, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. अंत में पूजा को लखनऊ के डॉ. राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल रेफर किया गया, जहां डॉक्टरों ने साफ कहा कि उसकी जान बचाने का एकमात्र रास्ता किडनी ट्रांसप्लांट है.

सास ने निभाया फर्ज

जब सब ओर से निराशा मिल रही थी, तभी सास बीनम देवी ने आगे बढ़कर कहा अगर मेरी किडनी मैच हो गई तो मैं अपनी बहू को दूंगी. किस्मत ने भी साथ दिया, उनका ब्लड ग्रुप मैच हो गया. बिना किसी झिझक के उन्होंने 13 सितंबर को ऑपरेशन टेबल पर जाकर अपनी किडनी दान कर दी. यह फैसला परिवार और रिश्तों की मजबूती का प्रतीक बन गया.

भावुक हुई बहू

सर्जरी के सफल होने के बाद पूजा भावुक होकर बोलीं मेरी मां ने किडनी देने से इनकार कर दिया था, लेकिन मेरी सास ने बिना सोचे-समझे अपनी जिंदगी दांव पर लगाकर मेरी जान बचाई. उनके कारण ही आज मैं अपनी बेटी को गोद में लेकर खेल पा रही हूं. भगवान सबको ऐसी सास दें.

गांव में जश्न जैसा माहौल

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लगभग एक महीने इलाज के बाद जब पूजा और उनकी सास बीनम देवी गांव लौटीं, तो पूरा गांव भावुक हो उठा. मोहल्ले वालों ने फूलों की बरसात कर उनका स्वागत किया और घर-घर मिठाइयां बांटी गईं. हर किसी की जुबान पर एक ही बात थी ऐसी सास ने रिश्तों की परिभाषा बदल दी.

समाज के लिए दिया संदेश

बीनम देवी ने साफ कहा कि जब किसी ने मदद नहीं की, मैंने सोचा कि अगर मैं बहू को बचा सकती हूं तो इससे बड़ा फर्ज कोई नहीं. आज उसे हंसते-जीते देखकर संतोष होता है. पति अश्विनी ने भी गर्व से कहा कि मां ने साबित कर दिया कि सास-बहू का रिश्ता केवल कहावतों और कहानियों तक सीमित नहीं, यह त्याग और ममता का रिश्ता भी है.

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