कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को लद्दाख में हाल ही में हुई हिंसा को लेकर मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश भाजपा और आरएसएस के निशाने पर है. कांग्रेस नेता ने जेल में बंद सोनम वांगचुक की मांग का समर्थन किया और केंद्र से लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने का आह्वान किया.
दरअसल, 24 सितंबर को एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक के नेतृत्व में हो रहा शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया जब प्रदर्शनकारियों ने स्थानीय भाजपा कार्यालय और कुछ वाहनों में आग लगाकर आगजनी और तोड़फोड़ की. प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच झड़प के बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया. इस हिंसा में 4 लोगों की मौत हो गई और लगभग 80 लोग घायल हो गए.
हिंसा के लिए वांगचुक और उनके भड़काऊ बयानों को दोषी ठहराते हुए पुलिस ने उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत गिरफ्तार कर लिया और जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद कर दिया. हालांकि, हिंसा के बाद वांगचुक ने मंगलवार को अपना 15 दिवसीय अनशन खत्म कर दिया और समर्थकों से हिंसा से बचने की अपील की.
‘अद्भुत हैं लद्दाख के लोग’
इसी को लेकर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार को घेरा हैं. उन्होंने रविवार को एक्स पर लिखा, ‘लद्दाख के अद्भुत लोग, संस्कृति और परंपराएं बीजेपी और आरएसएस के निशाने पर हैं. लद्दाखियों ने आवाज उठाई. बीजेपी ने चार युवकों की हत्या करके और सोनम वांगचुक को जेल में डालकर जवाब दिया.’
शनिवार को लेह में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए लद्दाख के डीजीपी एसडी सिंह जामवाल ने खुलासा किया कि पुलिस ने एक पाकिस्तानी पीआईओ (खुफिया अधिकारी) को पकड़ा है जो कथित तौर पर वांगचुक के संपर्क में था.
नेपाल की जेन- Z क्रांति का किया उल्लेख
वहीं, गृह मंत्रालय ने आरोप लगाया कि वांगचुक द्वारा अरब स्प्रिंग और नेपाल जेन जेड विरोध प्रदर्शन का उल्लेख करने से भीड़ में रोष फैल गया, जिसके परिणामस्वरूप लेह में स्थानीय भाजपा कार्यालय और कुछ सरकारी वाहनों को आग लगा दी गई.
इस बीच राहुल गांधी ने वांगचुक के साथ हुए व्यवहार, लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई को लेकर सरकार पर निशाना साधा.उन्होंने दावा किया कि सरकार केंद्र शासित प्रदेश के लोगों को डरा रही है और उसे ऐसा करना बंद करना चाहिए.
उन्होंने अपने ट्वीट में कहा, ‘हत्या बंद करो. हिंसा बंद करो. धमकी बंद करो. लद्दाख को आवाज दो और उन्हें छठी अनुसूची शामिल करो.’
सोनम वांगचुक का विरोध
लद्दाख में अपनी सक्रियता के लिए जाने जाने वाले वांगचुक ने 10 सितंबर को लद्दाख के लिए संवैधानिक गारंटी, अधिक स्वायत्तता, राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची का दर्जा देने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की थी.
इस पर सरकार ने कहा कि लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस जैसे क्षेत्रीय समूहों के साथ उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी), उपसमितियों और अनौपचारिक बैठकों के जरिए से बातचीत के समानांतर चैनल चल रहे हैं.
उधर गुरुवार को गुरुवार को सरकार ने हिंसा के मद्देनजर अधिनियम के कई उल्लंघनों का हवाला देते हुए वांगचुक द्वारा स्थापित संस्थान स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) का विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम लाइसेंस रद्द कर दिया.
इसी बीच भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन ने सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए कहा कि इससे सरकार के उत्पीड़न के एजेंडे का पर्दाफाश हो गया है.
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