संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 80वें सत्र में वैश्विक सुधारों की बहस तेज हो गई है. भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने न्यूयॉर्क में यूएनजीए को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र की वर्तमान स्थिति में सुधारों पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद की स्थायी और अस्थायी सदस्यता दोनों का विस्तार होना चाहिए. और भारत बड़ी जिम्मेदारियों को निभाने के लिए तैयार है.
वहीं, रूस के विदेश मंत्री ने भारत और ब्राजील को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की स्थायी सदस्यता के लिए मजबूत दावेदार बताते हुए उनका खुला समर्थन किया तो भूटान के प्रधानमंत्री ने भारत और जापान को समर्थन किया है.
उन्होंने कहा, ‘मैडम प्रेसिडेंट, एक निष्पक्ष रिपोर्ट कार्ड दिखाएगा कि संयुक्त राष्ट्र संकट की स्थिति में है. जब शांति संघर्षों से खतरे में है, विकास संसाधनों की कमी से पटरी से उतर रहा है, मानवाधिकार आतंकवाद से प्रभावित हो रहे हैं, तब भी संयुक्त राष्ट्र ग्रिडलॉक में फंसा हुआ है. सामान्य आधार बनाने की क्षमता कमजोर होने से बहुपक्षीयता में विश्वास भी घट रहा है.’
‘बदलाव चाहते हैं ज्यादातर सदस्य देश’
उन्होंने दावा किया कि ज्यादातर सदस्य देश बदलाव चाहते हैं, लेकिन प्रक्रिया को परिणाम के लिए बाधा बना दिया जा रहा है. उन्होंने सुझाव दिया कि इस नकारात्मकता को पार करते हुए सुधार एजेंडे को गंभीरता से संबोधित किया जाए. विशेष रूप से अफ्रीका के साथ हुए ऐतिहासिक अन्याय को सुधारना जरूरी है, जिसमें परिषद के स्थायी और अस्थायी दोनों सदस्यताओं का विस्तार शामिल है.
‘भारत तैयार है’
विदेश मंत्री ने जोर देकर कहा, ‘सुरक्षा परिषद की स्थायी और अस्थायी सदस्यता दोनों का विस्तार होना चाहिए. एक सुधारित परिषद वास्तव में प्रतिनिधित्वपूर्ण होनी चाहिए. भारत बड़े जिम्मेदारियों को निभाने के लिए तैयार है.’
उन्होंने कहा कि आज वैश्विक दक्षिण की स्थिति विशेष रूप से गंभीर है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत का मानना है कि उसके पास योगदान देने का कर्तव्य और प्रेरित करने की बाध्यता दोनों हैं. इसी कड़ी में भारत ने 78 देशों में 600 से अधिक प्रमुख विकास परियोजनाएं शुरू की हैं जो बड़े बुनियादी ढांचे से लेकर छोटे आजीविका कार्यक्रमों, क्षमता निर्माण से जनकल्याण तक फैली हुई हैं.
रूस ने किया समर्थन
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने अपने संबोधन में भारत और ब्राजील को यूएनएससी सुधार और विस्तार के लिए “मजबूत दावेदार” बताया. उन्होंने कहा कि दोनों देशों को सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए.
लावरोव ने पश्चिमी देशों की आलोचना भी की जो ईरान पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को फिर से लागू करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने इसे “अवैध” करार देते हुए कहा कि पश्चिमी राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय नियमों की अनदेखी कर रहे हैं और 2015 के परमाणु समझौते के तहत हटाए गए प्रतिबंधों को पुनर्स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं.
भूटान ने भारत और जापान को बताया योग्य
इसके अलावा भूटान के प्रधानमंत्री त्सेरिंग टोबगे ने यूएनजीए 80वें में अपने संबोधन में भारत और जापान को यूएनएससी की स्थायी सदस्यता के लिए ‘हकदार राष्ट्र’ बताया.
उन्होंने कहा, ‘भूटान संयुक्त राष्ट्र में सुधार का समर्थन करता है, जिसमें सुरक्षा परिषद में सुधार और स्थायी व अस्थायी, दोनों तरह की सदस्यता का विस्तार शामिल है. संशोधित सुरक्षा परिषद में भारत और जापान जैसे योग्य देशों के साथ-साथ अन्य सक्षम और अग्रणी देश भी शामिल होने चाहिए ताकि आज की जटिल वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित किया जा सके.’
आपको बता दें कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में 15 सदस्य होते हैं जो स्थायी और अस्थायी सीटों में विभाजित होते हैं. पांच देश- चीन, फ्रांस, रूस, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका इसके स्थायी सदस्य हैं. ये सभी देश वीटो शक्ति का इस्तेमाल करते हैं. जबकि शेष 10 सीटें अस्थायी सदस्यों द्वारा भरी जाती हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा दो-दो साल के कार्यकाल के लिए चुना जाता है. दुनिया के विभिन्न हिस्सों से प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए ये सीटें क्षेत्रीय स्तर पर वितरित की जाती हैं.
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