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टैरिफ, रूसी तेल और H-1B वीजा पर जल्‍द फैसला… अमेरिका से वापस आया भारतीय दल! – Tariff Russia Oil and H1B Visa India US trade Talk tutd


भारत और अमेरिका के बीच व्‍यापार समझौते को लेकर एक बड़ा अपडेट सामने आया है. सूत्रों का कहना है कि दोनों देशों के बीच व्‍यापार वार्ता पटरी पर है और इससे दोनों देशों के बीच बेहतर समझ विकसित हुई है. भारत और अमेरिका टैरिफ और रूसी तेल की खरीद समेत सभी तरह के मुद्दों का एक व्‍यापक समाधान निकालने की कोशिश कर रहे हैं. इस बीच, अमेरिका से भारत का प्रतिनिधि मंडल बातचीत के बाद भारत वापस आ गया. 

बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, यह व्‍यापार वार्ता का छठवां दौर नहीं है, लेकिन दोनों देश जल्‍द से जल्‍द व्‍यापार समझौते को जल्‍द खत्‍म करना चाहते हैं. ये बातचीत हाई लेवल पर हो रही हैं, छठवें दौर की बैठक बाद में की जाएंगी. 

वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य विभाग के विशेष सचिव और मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल समेत सीनियर अधिकारियों की एक टीम द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए वार्ता को आगे बढ़ाने के प्रयास के लिए इस सप्ताह अमेरिका में है. गोयल की अमेरिकी यात्रा व्‍यापार वार्ताकार ब्रेंडन लिंच के 16 सितंबर को नई दिल्‍ली आने और अग्रवाल के साथ दिनभर की चर्चा के तुरंत बाद हो रही है. 

अमेरिका के लिए, भारत द्वारा रूस से कच्चे तेल की खरीद एक प्रमुख चिंता का विषय बनी हुई है और सूत्रों ने बताया कि इस पर चर्चा अभी भी जारी है. अमेरिका ने रूस से कच्चा तेल खरीदना जारी रखने के लिए भारत पर 25% टैरिफ लगाया है, जिसके बारे में उसका मानना ​​है कि रूस यूक्रेन पर युद्ध के वित्तपोषण का एक स्रोत रहा है. 25% पारस्परिक शुल्क के साथ, भारत पर कुल शुल्क 50% हो गया है, जो ब्राजील के अलावा किसी भी देश पर सबसे अधिक है.
 
अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी मंच को संबोधित करते हुए, गोयल ने संकेत दिया कि भारत अमेरिका से और अधिक कच्चा तेल खरीद सकता है. हालांकि, सूत्रों ने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका द्वारा H1B वीजा पर शुल्क में की गई हालिया बढ़ोतरी केवल भारत के लिए नहीं है. यह पूरी तरह से असंबंधित मुद्दा है और इसका उद्देश्य केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया है, लेकिन दुनिया की 20% आबादी के साथ, भारत सबसे अधिक प्रभावित है. एच1बी वीजा फीस बढ़ोतरी का उद्देश्य भारत को प्रभावित करना नहीं था.

अमेरिका उच्च स्तरीय कुशल श्रमिकों के लिए खुला बना हुआ है. हालांकि, वित्त वर्ष 2024 में एच-1बी वीजा प्राप्तकर्ताओं में 70% से अधिक भारतीय थे और इस कदम का सबसे अधिक प्रभाव देश के आईटी क्षेत्र पर पड़ने की संभावना है.

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