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ट्रंप के फर्नीचर टैरिफ से 10000cr दांव पर, जानिए कौन-कौन सी भारतीय कंपनियों को होगा नुकसान – Donald Trump Tariff Furniture Export US by Indian Companies Loss tutd


25 सितंबर की देर रात डोनाल्‍ड ट्रंप ने कुछ नए सेक्‍टर पर टैरिफ लगाने का ऐलान किया. फार्मा पर 100%, फर्नीचर पर 50% और हैवी ट्रक बनाने वाली कंपनियों पर 25% टैरिफ लगाया है, जो 1 अक्‍टूबर से लागू होंगे. फार्मा पर 100 फीसदी टैरिफ से भारतीय कंपनियों को तगड़ा झटका लगा है, क्‍योंकि भारतीय कंपनियों का एक बड़ा एक्‍सपोजर अमेरिका के फार्मा सेक्‍टर में है. इस टैरिफ से सन फार्मा, नैट्को, अरविंदो, लुप‍िन और बॉयोकॉन जैसी कंपनियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है.  

ये तो रही फार्मा सेक्‍टर की बात… लेकिन क्‍या आपको पता है भारत अमेरिका को फर्नीचर एक्‍सपोर्ट भी बड़े स्‍तर पर करता है? भारत का कुल फर्नीचर एक्‍सपोर्ट मार्केट का साइज 2022-23 में करीब 5 अरब डॉलर था, जबकि ग्‍लोबल फर्नीचर मार्केट का अनुमानित आकार 2023 में 23 अरब डॉलर था. भातर का फर्नीचर एक्‍सपोर्ट मार्केट 6 फीसदी से ज्‍यादा के CAGR से ग्रो कर रहा है. इसे 2030 तक 43 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्‍य रखा गया है. 

भारत दुनियां में फर्नीचर सप्‍लाई करने में एक बड़ा प्‍लेयर बन चुका है. यह लकड़ी, प्‍लास्टिक, बेंत और बांस से बने फर्नीचर का एक्‍सपोर्ट करता है. भारत के ज्‍यादातर फर्नीचर अमेरिका, फ्रांस और नीदरलैंड के लिए जाते हैं. अब डोनाल्‍ड ट्रंप ने इस सेक्‍टर पर भी 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया है, जो भारत के लिए एक और बड़ा झटका है. 

अमेरिका को कितना फर्नीचर एक्‍सपोर्ट करता है भारत? 
ट्रेडइकोनॉमिक्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2024 में, भारत से अमेरिका को फर्नीचर / लाइटिंग / प्रिफैब्रिकेटेड बिल्डिंग आदि कैटेगरी में निर्यात लगभग 1.14 अरब डॉलर (करीब 10 हजार करोड़ रुपये) था. वहीं 2023 में भारत ने फर्नीचर, बेडिंग, मैट्रेसेस और कुशन कैटेगरी के करीब 1.07 अरब डॉलर सामना की सप्‍लाई की थी. वर्ल्‍ड बैंक की एक रिपोर्ट बताती है कि भारत ने 32.46 करोड़ डॉलर का सिर्फ वूडेन फर्नीचर एक्‍सपोर्ट किया था. 

कौन सी कंपनी अमेरिका को कितना फर्नीचर भेजती है

  • Nilkamal Ltd: यह अमेरिका को प्लास्टिक-मोल्डेड, रैक्स, ऑफिस सीरिज जैसे फर्नीचर की सप्‍लाई करती है. साल 2023 के मुताबिक इसने अमेरिका को 55 से 60 करोड़ का सामन एक्‍सपोर्ट किया. 
  • Godrej Interio: घर और ऑफिस फर्नीचर, कॉर्पोरेट कॉन्‍ट्रैक्‍ट भी इस कंपनी को अमेरिका से मिलते रहे हैं. कंपनी ने सार्वजनिक तौर पर एक्‍सपोर्ट डाटा शेयर न‍हीं किया है, लेकिन अनुमान है कि यह करोड़ों का एक्‍सपोर्ट करती है. 
  • कैरीसिल: यह कम्पोजिट क्वार्ट्ज़ किचन सिंक का निर्माता है. इसके उत्पादों में क्वार्ट्ज और स्टेनलेस स्टील के सिंक, चिमनी, कुकटॉप, ओवन और डिशवॉशर सहित बिल्ट-इन किचन उपकरण, नल और इंजीनियर्ड चीजें हैं. अमेरिका में इसका भी बड़ा एक्‍सपोजर है. कंपनी अमेरिका से 21.5 प्रतिशत रेवेन्‍यू हासिल करता है. 
  • Featherlite Industries: इस कंपनी ने भी अमेरिका को ऑफिस फर्नीचर एक्‍सपोर्ट किए हैं.  यह कंपनी अमेरिका के साथ बी2बी बिजनेस में काम करती है. 
  • Sheela Foam (Sleepwell): यह कंपनी अमेरिका के साथ-साथ ग्‍लोबल एक्‍सपोर्ट भी करती है. यह अमेरिका को मैट्रेसेस, बेडिंग के सामना एक्‍सपोर्ट करती है. इसी तरह कुर्लोन एंटरप्राइज भी स्‍लीपिंग बेड और मैट्रेसेस का एक्‍सपोर्ट करती है. 
  • कुछ छोटी कंपनियां भी अमेरिका को बड़े स्‍तर पर फर्नीचर सप्‍लाई करती हैं, जिसमें FurnitureRoots, Durian, Various EPCH, बेस्‍ट ऑफ एक्‍सपोर्ट एंड फैशन इनटेरियो आदि शामिल हैं. 

भारत को क्‍या करना चाहिए? 
फर्नीचर पर टैरिफ से भारत के प्रोडक्‍ट्स अमेरिका में महंगे हो सकते हैं, जिस कारण भारत का अमेरिका का एक्‍सपोर्ट कम हो सकता है. ऐसे में भारत को नए मार्केट की तलाश करनी चाहिए, ताकि टैरिफ का असर भार पर कम पड़े. 

शेयर पर भी दिखा असर
ट्रंप के 50 फीसदी टैरिफ का असर मार्केट में लिस्‍टेड कुछ फर्नीचर कंपनियों के शेयरों पर दिखाई दे रहा है. नीलकमल के शेयर 1 फीसदी टूटकर 1500 के करीब करोबार कर रहे हैं. वहीं गोदरेज कंज्‍यूमर प्रोडक्‍ट के शेयरों में 1.54 फीसदी की गिरावट आई है. इसके अलावा, कैरीसिल के शेयर 9.5 प्रतिशत तक गिरकर 768.15 रुपये पर पहुंच गए. 

(नोट- किसी भी शेयर में निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की मदद जरूर लें.)

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