हमारे धरती पर एक ऐसी जगह है, जहां जमीन से ज्यादा पास तो अंतरिक्ष है. समुद्र के इस प्वाइंट से हर दिशा में हजारों किलोमीटर दूर-दूर तक कोई जमीन नहीं है. प्वाइंट नीमो धरती की सबसे रिमोट जगह है, जहां कोई समुद्री जीव नहीं पनप सकते. स्पेस ऑर्गनाइजेशन बेकार हो चुके सैटेलाइट और स्पेस स्टेशन को यहीं भेजते हैं. ऐसे में जानते हैं कि पृथ्वी की इस रहस्यमयी जगह के बारे में…
पैसिफिक महासागर के दक्षिण में स्थित प्वाइंट नीमो सबसे नजदीकी जमीन से 1,670 मील (2,668) किलोमीटर दूर है. इसे धरती की सबसे दुर्गम जगह माना जाता है. यह प्वाइंट इक्वेटर, इंटरनेशनल डेट लाइन और 90th मेरिडियन वेस्ट के इंटरसेक्शन (जहां ये तीनों रेखाएं मिलती हैं) पर स्थित है. इस क्षेत्र पर किसी भी देश का अधिकार नहीं है.
जमीन तक पहुंचने में लगेंगे दो हफ्ते
यहां सबसे नजदीकी जमीन उत्तर दिशा में पिटकेर्न आइलैंड समूह का ड्यूसी आइलैंड, उत्तर-पूर्वी दिशा में ईस्टर आइलैंड श्रृंखला का मोतू नी और दक्षिण में अंटार्कटिका के एक दावा-रहित क्षेत्र मैरी बर्ड लैंड के तट पर स्थित माहेर आइलैंड है. हालांकि तीनों जगहों पर कोई आबादी नहीं है.
लोगों से मिलने के लिए आपको 3 हजार किलोमीटर दूर विश्व की सबसे आइसोलेटेड जगहों में से एक ईस्टर आइलैंड या 4 हजार किलोमीटर दूर न्यूजीलैंड जाना होगा जहां केवल नाव से पहुंचा जा सकता है. इस सफर में दो हफ्तों से ज्यादा लगेंगे.
क्यों है ये प्वाइंट ऑफ इनएक्सेसिबिलिटी?
प्वाइंट नीमो को महासागरों का प्वाइंट ऑफ इनएक्सेसिबिलिटी कहा जाता है. प्वाइंट ऑफ इनएक्सेसिबिलिटी यानी वो जगह जहां से कोई भी कोस्टलाइन या तटरेखा सबसे दूर होती है. नक्शे पर ये उस भूभाग का सेंटर प्वाइंट होता है. हर दिशा में ये जगह नजदीकी जमीन से 2,688 किलोमीटर की समान दूरी पर है. धरती के अन्य प्वाइंट ऑफ इनएक्सेसिबिलिटी उत्तर में आर्कटिक महासागर की बर्फ और दक्षिण में अंटार्कटिका में सोवियत संघ का एक पुराना रिसर्च स्टेशन हैं.
सॉफ्टवेयर से निकाली थी लोकेशन
प्वाइंट नीमो को सबसे पहले साल 1992 में हर्वोजे लुकाटेला (Hrvoje Lukatela) नामक कनाडाई सर्वे इंजीनियर ने खोजा था. उन्होनें यूएस डिफेंस मैपिंग एजेंसी (अब नेशनल जियोस्पेशियल इंटेलिजेंस एजेंसी) के ‘डिजिटल चार्ट ऑफ द वर्ल्ड’ से सैटेलाइट्स के ऑर्बिट और जमीनी लोकेशन का डेटा लेकर एक सॉफ्टवेयर में डाला और प्वाइंट की सटीक लोकेशन मापी.
मछली के नाम पर नहीं है प्वाइंट का नाम
लोग प्वाइंट नीमो सुनकर अक्सर समझ लेते हैं कि इसका नाम मशहूर डिज्नी फिल्म फाइंडिंग नीमो के मुख्य पात्र नीमो मछली के नाम पर रखा गया. पर असल में नीमो का लैटिन में मतलब होता है ‘नो मैन’. प्वाइंट नीमो का नाम लेखक जूल्स वर्ने की किताब 20,000 लीग्स अंडर द सी के पात्र कैप्टन निमो के नाम पर है.
नहीं है कोई जीव
प्वाइंट नीमो की गहराई में बहुत ज्यादा प्रेशर, बहुत कम तापमान और सूरज की रोशनी ना पहुंचने के कारण वहां कोई समुद्री जीव नहीं पनप सकते. हालांकि प्वाइंट नीमो के पास समुद्र तल पर ज्वालामुखी के वेंट (ओपनिंग) में कुछ बैक्टीरिया और छोटे केकड़े पाए गए हैं.
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन है जमीन से ज्यादा नजदीक
जहां प्वाइंट नीमो से सबसे नजदीकी जमीन भी हजारों किलोमीटर दूर है, यहां से अंतरिक्ष पहुंचना ज्यादा आसान है. अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आईएसएस) इस प्वाइंट से केवल 415 किलोमीटर दूर है. आईएसएस का ऑर्बिट धरती के पास होने के कारण वह अक्सर प्वाइंट नीमो के ऊपर से गुजरता है.
खराब स्पेस सैटेलाइट्स का डंपिंग ग्राउंड
खराब हो चुके या काम पूरा होने के बाद अंतरिक्ष में मौजूद सैटेलाइट्स को प्वाइंट नीमो में ही फेंका जाता है. स्पेस ऑर्गनाइजेशन इसी तरह स्पेस स्टेशन्स को भी नियंत्रित लैंडिंग की मदद से वहां तक भेजते हैं. सबसे पहले वहां साल 1971 में सोवियत संघ का सैल्यूट 1 स्पेसक्राफ्ट फेंका गया था. तब से, मीर स्पेस स्टेशन, स्काईलैब स्पेस स्टेशन, स्पेस-एक्स का एक रॉकेट और बीगल 2 मार्स लैंडर जैसे 250 से ज्यादा सैटेलाइट प्वाइंट नीमो में फेंके जा चुके हैं. साल 2028 से 2030 के बीच आईएसएस को भी इसी तरह स्पेस से हटाया जाएगा.
प्वाइंट पर पहुंचने वाला पहला इंसान
20 मार्च 2024 को ब्रिटिश एक्सप्लोरर क्रिस ब्राउन प्वाइंट नीमो तक पहुंचने वाले पहले व्यक्ति बने. उनकी टीम ने चीली देश से अपना मिशन शुरू किया. उन्होंने इंस्टाग्राम पर इसकी तस्वीरें भी शेयर की थी.
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