अमेरिकी 50 फीसदी टैरिफ का भारत पर कितना असर होने वाला है? इस सवाल के जवाब में यूबीएस की चीफ इंडिया इकोनॉमिस्ट तन्वी गुप्ता जैन का कहना है कि भारत पर असर होगा, लेकिन भारत चाहे तो इस असर को अपनी रणनीति से कम कर सकता है.
दरअसल, मुंबई में आयोजित इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2025 में Business Today के ग्रुप एडिटर सिद्धार्थ जराबी से खास बातचीत में अर्थशास्त्री तन्वी गुप्ता जैन ने कहा कि अमेरिका ने एकतरफा 50% टैरिफ लगाया है, लेकिन अब भारत को इससे निपटना है. उन्होंने कहा कि यह घटना भारत के लिए केवल अल्पकालिक समस्या नहीं है, बल्कि इससे हमें अपनी दीर्घकालिक विकास रणनीति पर भी गंभीरता से विचार करना होगा.
तन्वी गुप्ता जैन ने बताया कि पिछले 30-40 सालों में विश्व अर्थव्यवस्था ने तेज विकास किया, क्योंकि हर देश ने वैश्विक बाजार को अपनाया और निर्यात पर भरोसा किया. लेकिन अब हालात बदल गए हैं.अब बड़े देश अपने उद्योगों की रक्षा के लिए ऊंचे टैरिफ और पेनॉल्टी का इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसे में भारत को यह मान लेना चाहिए कि केवल निर्यात-आधारित रणनीति अब सुरक्षित नहीं है.
संरचनात्मक सुधार की जरूरत
उनका कहना है कि भारत को अब अपनी नीति में संरचनात्मक सुधार (Structural Reforms) करने होंगे. इसमें न केवल निवेश और रोजगार बढ़ाना शामिल है, बल्कि छोटे उद्योगों को टिकाऊ बनाने और घरेलू मांग को मज़बूत करने पर भी ध्यान देना होगा. उन्होंने कहा कि भारत को आगे की चुनौतियों का सामना करने के लिए अपनी प्रतिस्पर्धा (Competitiveness) बढ़ानी होगी.
चीन और नई चुनौतियां
तन्वी गुप्ता जैन ने यह भी चेताया कि आने वाले समय में भारत को दो बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. पहली, चाइना शॉक 2.0 – यानी चीन से निकला सस्ता सामान अन्य देशों में डंप होना और प्रतिस्पर्धा बढ़ाना. दूसरी- ऑटोमेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) – जो पारंपरिक नौकरियों पर असर डालेगा. इन दोनों परिस्थितियों में भारत को रोजगार सुरक्षित करने और नए सेक्टर्स में प्रतिस्पर्धी बनने की तैयारी करनी होगी.
मैन्यूफैक्चरिंग में हिस्सेदारी बढ़ाने की चुनौती
उन्होंने कहा कि भारत का मैन्यूफैक्चरिंग एक्सपोर्ट अभी वैश्विक स्तर पर केवल 2% है. अगर भारत वास्तव में ‘विकसित भारत 2047’ का लक्ष्य हासिल करना चाहता है तो इस हिस्सेदारी को कम से कम 5% तक बढ़ाना होगा, यह तभी संभव है जब देश निवेश माहौल को आसान बनाए, व्यापारिक अड़चनों को कम करे और कौशल विकास (Skill Development) पर काम करे.
तन्वी गुप्ता जैन की मानें तो भारत को अल्पकालिक राहत योजनाओं के साथ-साथ दीर्घकालिक सुधारों पर भी ध्यान देना होगा. विकसित भारत का सपना तभी पूरा होगा, जब देश में घरेलू मांग मज़बूत और होगा.
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