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‘नए कानून कोर्ट पर बोझ…’,पीएम के आर्थिक सलाहकार के बयान पर पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने क्या कहा – dy chandrachud sanjeev sanyal criticism judiciary delay infrastructure issues hindering indias development ntcprk


प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (Economic Advisory Council) के सदस्य संजीव सान्याल ने हाल ही में भारत को विकसित भारत (Viksit Bharat) बनाने की राह में न्यायपालिका को ‘सबसे बड़ी बाधा’ बताया था. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने गुरुवार को माना कि मुकदमों में देरी एक गंभीर समस्या है, लेकिन उन्होंने यह भी साफ किया कि देरी का असली कारण इंफ्रास्ट्रक्चर में कमी है, न कि न्यायपालिका की अक्षमता.

मुंबई में इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के दौरान चंद्रचूड़ ने कहा, ‘इसमें कोई शक नहीं कि हमारे कानून में देरी की समस्या है. लेकिन हमें यह देखना होगा कि ये देरी क्यों होती है? इसका कारण सिर्फ न्यायपालिका नहीं है. असली वजह है इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी. और इस इंफ्रास्ट्रक्चर का बजट सरकार के पास होता है.’

चंद्रचूड़ ने यह भी बताया कि मामलों की बढ़ती संख्या के पीछे सरकार का खुद का योगदान सबसे बड़ा है. उन्होंने कहा, ‘सरकार देश की सबसे बड़ी वादी (litigant) है. कई बार बिना उचित कारण के ही केस फाइल कर दिए जाते हैं, जिससे मामलों की संख्या बढ़ती जाती है.’

‘संसद के कानून कोर्ट पर बोझ डालते हैं’

उन्होंने यह भी कहा कि संसद की तरफ से बनाए गए नए कानून अदालतों पर अतिरिक्त बोझ डालते हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं न तो सरकार को और न ही संसद को दोष दे रहा हूं. लेकिन बात ये है कि जब भी नए कानून बनाए जाएं, तब यह भी आकलन होना चाहिए कि उनका न्यायपालिका के इंफ्रास्ट्रक्चर पर क्या असर पड़ेगा. इसके लिए एक वैधानिक या संसदीय ऑडिट होना जरूरी है.’

चंद्रचूड़ ने अपनी बात को एक उदाहरण के जरिए समझाते हुए कहा, ‘अगर आप एयरपोर्ट बनाएं लेकिन वहां तक पहुंचने के लिए सड़क ही न हो, तो वह एयरपोर्ट बेकार हो जाएगा. इसी तरह अदालतों को भी प्रभावी ढंग से काम करने के लिए पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर चाहिए.’

उन्होंने समय पर न्याय देने के महत्व पर जोर देते हुए कहा, ‘मामलों का तेजी से निपटारा कानून के शासन की नींव है. देश में निवेश करने वाले भी निश्चितता, पारदर्शिता और विवादों का समय पर समाधान चाहते हैं.’

सान्याल का न्यायपालिका पर हमला

इसी हफ्ते संजीव सान्याल ने न्यायपालिका की लंबी छुट्टियों (judicial vacations) को लेकर कड़ी टिप्पणी की थी. न्याय निर्माण 2025 (Nyaya Nirmaan 2025) कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा, ‘न्यायपालिका एक सार्वजनिक सेवा है, इसे लंबे समय तक बंद नहीं होना चाहिए. जैसे स्वास्थ्य सेवाएं लगातार चलती रहती हैं, वैसे ही न्यायपालिका को भी खुला रहना चाहिए.’

सान्याल ने कहा कि क्या हो अगर डॉक्टर्स भी अदालतों की तरह अपने अस्पताल बंद करने लगे. उन्होंने कहा कि यह स्थिति अस्वीकार्य है.

उन्होंने कहा, ‘हमारे पास विकसित भारत बनने के लिए सिर्फ 20 से 25 साल का समय है. अगर कानूनी व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ, तो विकसित राष्ट्र बनने का सपना अधूरा रह जाएगा.’

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