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संघ के 100 साल: अगर जज साहब की चलती तो ‘जरी पटका मंडल’ होता RSS का नाम – rss 100 years rashtriya swayamsevak sangh name story doctor hedgewar ntcpsm


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस की स्थापना के 7 महीने होने ही जा रहे थे कि डॉ. केशव बलराम हेडगेवार ने 17 अप्रैल 1926 को अपने घर पर एक बैठक बुलाई. इसमें 26 स्वयंसेवक आए. उनसे सुझाव मांगे गए कि अपने संगठन का कोई नाम तो होना चाहिए, तो सुझाएं. इस नामकरण की एक फौरी वजह भी थी. नागपुर की रामटेक तहसील एक तीर्थस्थल थी, जहां हर साल रामनवमी के त्यौहार पर हजारों लोग जुटते थे. अंग्रेजी राज में उस भीड़ को नियंत्रित करने की कोई व्यवस्था नहीं थी.

हेडगेवार को लगा कि अगर अनुशासित स्वयंसेवक वहां व्यवस्था बना दें तो समाज में अच्छा संदेश जाएगा. दिक्कत ये थी कि बिना किसी संगठन के नाम के वो भी भीड़ ही बनकर रह जाते. इसी समस्या के समाधान के लिए ये बैठक बुलाई गई थी.

इन तीन सुझावों में से चुना गया फाइनल ना
नाना पालेकर के मुताबिक उस बैठक के सचिव ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था, “कुल 26 सदस्य उपस्थित थे. काफी चर्चा के बाद तीन नामों को छांटकर निकाला गया, उनको लेकर वोटिंग हुई. जिनमें पहला नाम ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ था, दूसरा था ‘जरी पटका मंडल’ और तीसरा था ‘भारतोद्धार मंडल’. इसमें 20 वोटों के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नाम बहुमत से चुना गया. जबकि जरी पटका मंडल को 5 वोट मिले, भारतोद्धार मंडल को सुझाने वाले के सिवा किसी और ने वोट नहीं किया”.

संघ का नाम रखने के लिए आए कई सुझावों में से एक था ‘जरी पटका मंडल’ (Photo: AI-Generated)

जरी पटका मंडल का सीधा रिश्ता पेशवाई से था, इस भगवा प्रतीक का बड़ा आदर हमेशा से रहा है. प्रोफेसर पीके सावलापुरकर जो इस बैठक में मौजूद थे, उन्होंने लिखा है कि,  “जरी पटका मंडल नाम का सुझाव प्रथम वर्ष के एक कॉलेज छात्र ने दिया था, जो बाद में जज बना”. हालांकि उनका ये भी दावा है कि ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ नाम  हेडगेवार के दिमाग में पहले से था. नाम तय होने के बाद हेडगेवार ने इन्हीं प्रोफेसर साहब को इस नाम की सार्थकता पर बोलने को कहा और वो आधे घंटे बोले भी.

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संघ के नाम में इस वजह से नहीं है ‘महाराष्ट्र’ या हिंदू
हालांकि, कुछ और नामों पर भी चर्चा हुई थी, जैसे ‘शिवाजी संघ’. एक सुझाव ‘महाराष्ट्र स्वयंसेवक संघ’ का भी आया, तो किसी ने ‘हिंदू स्वयंसेवक संघ’ नाम का भी सुझाया. इसमें डॉ हेडगवार ने कहा, ‘हम हर महापुरुष और हर राज्य का आदर करते हैं, लेकिन एक महापुरुष या एक ही राज्य के ही नाम पर रखा जाना ठीक नहीं रहेगा. हमें तो पूरे भारत का संगठन बनना है.’

वोटिंग से चुना गया था संघ का फाइनल नाम (Photo: AI-Generated)

बाद में बहुत लोगों ने डॉ. हेडगेवार से नाम को लेकर आपत्ति भी जताई. नाम में ‘हिंदू’ शब्द ना होने पर भी कई लोग हैरान थे. तब हेडगेवार ने उन्हें ‘हिंदू’ शब्द की व्यापकता समझाई. इस बैठक के बाद भी अरसे तक चर्चाएं होती रहीं, तब जाकर नाम को अंतिम रूप से तय किया गया.

साफ है कि संघ का नामकरण आसानी से नहीं हुआ. उस वक्त के स्वयंसेवकों और संस्थापक डॉ. केबी हेडगेवार ने अरसे तक तो सोचा भी नहीं था कि इस संगठन का नाम क्या होगा, गणवेश (वेशभूषा) क्या होगी. उसका प्रमुख कौन रहेगा और उसका पद नाम क्या होगा, नियम क्या होंगे आदि. लेकिन हां, संगठन क्या चाहता है और वो क्या करेगा ये बात तय थी.

पिछली कहानी: जब डॉ. हेडगेवार को बताए बिना उन्हें बना दिया गया RSS का ‘सरसंघचालक’

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