कहां तो फिलिस्तीन एक अलग देश होने की मांग कर रहा है, कहां इजरायल अपने अड़ोस-पड़ोस के बॉर्डर भी मिटा देना चाहता है. कुछ ही रोज में हमास और इजरायल की लड़ाई को दो साल होने वाला है, लेकिन तेल अवीव अब भी उतने ही तीखे हमले कर रहा है, बल्कि यूं कहें कि हाल में उसके हमले और आक्रामक हुए. वो साफ कर चुका कि गाजा में उसे हमास नहीं चाहिए. ये तो हुई हमास को खत्म करने की बात, लेकिन कहीं ऐसा तो नहीं कि आतंकी संगठन के खात्मे की आड़ में इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ग्रेटर इजरायल के रास्ते पर चल रहे हों!
इजरायली लीडर ने अगस्त में एक इंटरव्यू में ये कहकर तूफान मचा दिया कि वे उनके पूर्वजों ने ग्रेटर इजरायल का सपना देखा था, और वे इस तक पहुंचकर रहेंगे.
क्या है ग्रेटर इजरायल का कंसेप्ट और कैसे उपजा
इसे ऐतिहासिक रूप से यहूदियों के प्रॉमिस्ड लैंड की तरह देखा गया, जहां वर्तमान इजरायल के साथ-साथ वेस्ट बैंक, गाजा, सीरिया, लेबनान और जॉर्डन के कुछ हिस्से शामिल हैं. यह प्रस्ताव सबसे पहले थिओडोर हर्जल ने दिया था, जो मॉडर्न जायोनिज्म के जनक भी कहे जाते हैं. उन्होंने इसके पीछे कई किताबों का हवाला भी दिया.
साल 1948 में इजरायल ने खुद को स्वतंत्र देश घोषित तो कर दिया लेकिन उसकी सीमाएं विवादित रहीं. लगभग दो दशक बाद अरब-इजरायल लड़ाई के दौरान तेल अवीव ने अपने पड़ोसी देशों पर बड़ी जीत हासिल की. इस दौरान उसने कई इलाकों पर कब्जा भी कर लिया, जैसे गाजा पट्टी, जो कि पहले मिस्र के कंट्रोल में थी. जॉर्डन से वेस्ट बैंक ले लिया और सीरिया से गोलन हाइट्स छीन लिया. इस जंग ने इजरायल की सीमाओं को अचानक काफी बढ़ा दिया. इसके बाद ही ग्रेटर इजरायल की पुरानी चाह फिर जोर मारने लगी.

क्या इस तरफ बढ़ता दिख रहा इजरायल
मौजूदा सरकार में लगभग सारे ही नेता इस सोच को सपोर्ट करते हैं. हालिया युद्ध के दौरान एक तस्वीर आई थी, जिसमें एक इजरायली सैनिक अपनी यूनिफॉर्म पर ग्रेटर इजरायल का नक्शा दिखा रहा था. यानी आग सरकार के ही नहीं, सैनिकों और जनता तक के दिल में लगी हुई है.
जिन इलाकों को फिलिस्तीन अपना मानता है, जैसे वेस्ट बैंक या गोलान हाइट्स, उन सभी जगहों पर इजरायली सेटलमेंट्स बनने लगे. सिर्फ आज वेस्ट बैंक में ही 140 से ज्यादा आधिकारिक कॉलोनियां जबकि सैकड़ों अनाधिकारिक चौकियां हैं. पूर्वी येरुशलम को इजराइल अपनी राजधानी मानता है और वहां बेखटके लगातार यहूदी आबादी बस रही है. इसी तरह से सीरिया से छीने गोलन हाइट्स में भी यहूदी बस्तियां बस चुकीं. गाजा पट्टी अकेली जगह है, जहां से इजरायल अपनी सारी कॉलोनियां समेट चुका.
द कन्वर्सेशन की रिपोर्ट में जिक्र है कि इन सारे इलाकों में सात लाख से ज्यादा यहूदी लोग बस चुके हैं. इन्हें इजरायली सेना की सुरक्षा भी मिली हुई है.

इसके अलावा, इजराइल ने हाल में केवल वेस्ट बैंक या गाजा तक ही अपने ऑपरेशन सीमित नहीं रखे, उसने लेबनान और सीरिया में भी सैन्य दबदबा बढ़ा लिया. हिजबुल्लाह की ताकत को कमजोर करने के लिए उसने लेबनान पर हमले किए. इसके साथ ही दक्षिणी लेबनान में उसकी सैन्य मौजूदगी बढ़ गई. इसी तरह सीरिया में ईरान समर्थित ठिकानों को निशाना बनाते हुए वो भीतर की तरफ चला आया. नेतन्याहू साफ कर चुके कि उनका निकट भविष्य में इन इलाकों को छोड़ने का कोई इरादा नहीं.
अरब देश इस बारे में क्या सोचते हैं
वे तो लगातार इजरायल पर ही सवाल उठाते रहे, ऐसे में अपने हिस्से देने का सवाल ही नहीं आता. तेल अवीव के साथ एक अच्छी बात ये है कि उसके पाले में अमेरिका जैसी महाशक्ति है. दोनों के बीच शुरुआत से ही अच्छे संबंध रहे, जो कॉमन हितों पर काम करते हैं. हाल में दोहा पर हमले के बाद अरब लीग इकट्ठा हुई और नाटो की तरह सैन्य ताकत बनाने पर चर्चा भी हुई लेकिन फिर चुप्पी छा गई.
यहां समस्या ये है कि सारे के सारे इस्लामिक देशों का अपना हित है, जिसमें दोस्त और दुश्मन बदलते रहते हैं. ऐसे में वे चाहकर भी एक-दूसरे पर पूरा भरोसा नहीं कर पा रहे. साझा सैन्य ताकत बनाने के लिए इंटेलिजेंस नेटवर्क भी बांटना होता है. ये भी उनके लिए मुश्किल है.
—- समाप्त —-