इंडिया टुडे कॉन्क्लेव मुंबई 2025 के पहले दिन कई हस्तियों ने शिरकत की. इवेंट में पॉलिटिशियंस से लेकर फिल्मी सितारों ने भी अपनी बात रखी. इसी क्रम में फाउंडर्स हेल्थ और लंदन लॉन्गविटी क्लब के को-फाउंडर डॉ. अवि रॉय भी इंडिया टुडे कॉन्क्लेव पहुंचे. उन्होंने उम्र बढ़ने से लेकर उम्र को बढ़ाने को लेकर कौन से हैक्स अपना सकते हैं, इस बारे में भी अपनी राय रखी. तो आइए उनकी नजर में अमरता क्या है और कैसे कोई इंसान अपनी उम्र लंबी कर सकता है इस बारे में जानते हैं.
क्या अमरता अब हकीकत है?
डॉ. अवी रॉय ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा, ‘ये मेरे लिए एक अच्छा मौका है ये बताने का कि मैं क्या हूं और क्या नहीं हूं. अक्सर लोग डॉक्टर और डॉक्टर में फर्क नहीं कर पाते. एक मेडिकल डॉक्टर होता है और दूसरा वैज्ञानिक. हम वैज्ञानिक वो दवाइयां डिजाइन करते हैं जिनका इस्तेमाल डॉक्टर करते हैं. बायोमेडिकल साइंटिस्ट और बायोकैमिस्ट सॉल्यूशन खोजते हैं. हां, उनमें से 95% से 99% तक नाकाम हो जाते हैं लेकिन जो सफल होते हैं वो डॉक्टरों के टूलकिट का हिस्सा बन जाते हैं.’
‘मैं ये इसलिए बता रहा हूं क्योंकि आपने जो GLP-1 की बात सुनी, वो तो बस एक शुरुआत है. उसे रामबाण की तरह बताया गया, लेकिन हमारे लिए जो खुद को बायोजेरोंटोलॉजिस्ट कहते हैं यानी वे वैज्ञानिक जो बुढ़ापे की रफ्तार को धीमा करने या उलटने की रिसर्च करते हैं, ये तो बस नोक का सिरा है. असली सोच उससे कहीं आगे है.’
‘अब आती है अमरता (Immortality) की बात. मुझे नहीं लगता कि कोई भी वैज्ञानिक ‘अमरता’ के बारे में सोच रहा है. हम ‘नेग्लिजिबल सेनेसेन्स’ के बारे में सोच रहे हैं. मतलब ऐसा समझ लीजिए कि अमरता जैसी स्थिति. प्राकृतिक तौर पर कुछ जीव ऐसे होते हैं जो बहुत धीरे-धीरे बूढ़े होते हैं. हां, आपको कोई मार सकता है. आप वैम्पायर, फिल्मों या कहानी के खलनायक जैसे नहीं होंगे. बल्कि आप एक बोहेड व्हेल जैसे होंगे न कि एक खेत में रहने वाले चूहे जैसे.’
‘चूहा शायद ही कभी 6 महीने से ज्यादा जिंदा रहता है. वहीं बोहेड व्हेल 300 साल तक जी सकती है, शायद उससे भी ज्यादा. हम उस व्हेल को मार चुके हैं, जिससे हमने उसकी उम्र का अनुमान लगाया था इसलिए सही-सही नहीं जानते. ये तो सिर्फ स्तनधारियों (Mammals) की बात है. अगर पूरे एनिमल किंगडम को देखें तो वहां कुछ प्रजातियां बेहद लंबे समय तक जिंदा रहती हैं. उनका बुढ़ापा बहुत धीमा होता है. वो कैंसर जैसी बीमारियों को भी मात देते हैं. और हम यही समझने की कोशिश कर रहे हैं कि ऐसा हम इंसानों के साथ कैसे कर सकते हैं.’
30 साल के युवाओं को हार्ट अटैक क्यों हो रहे हैं?
डॉ. अवी रॉय से पूछा गया, हमारे साधु-संत बिना किसी मेडिकल सुविधा के 90 साल से अधिक जीते थे लेकिन आज 30 साल के युवाओं को हार्ट अटैक हो रहे हैं? इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, ‘सबसे पहले तो समझना होगा कि इंजीनियरिंग एजिंग से मेरा मतलब क्या है. हमारी पूरी मानव सभ्यता के 99% हिस्से में 40% बच्चे पांच साल की उम्र पूरी करने से पहले ही मर जाते थे. इंग्लैंड और वेल्स में ये स्थिति 1921 की जनगणना तक बनी रही. भारत में इसमें सुधार 1985 के बाद जाकर आया. और ये बदलाव कैसे हुआ? इंजीनियरिंग सॉल्यूशंस से.’
‘हमने वैक्सीन बनाईं जो सॉफ्टवेयर कोड की तरह हमारे इम्यून सिस्टम को अपडेट करती हैं. इसने बच्चों को घातक वायरस और बैक्टीरिया से बचाना शुरू किया. आज ये हमें सामान्य लगता है, लेकिन असल में ये एक चमत्कार से कम नहीं है.’
हमारे जेरोंटोलॉजी विज्ञान ने बुढ़ापे के 13 कारण पहचाने हैं. इन्हें हम 13 हॉलमार्क्स ऑफ एजिंग कहते हैं. इसमें टेलोमीयर का छोटा होना, कोशिकाओं में कचरे (प्रोटीन) का जमा होना, कोशिकाओं के बीच कम्यूनिकेशन टूटना जैसी चीजें शामिल हैं. ये प्रक्रियाएं उम्र बढ़ने के साथ बिगड़ती जाती हैं.’
‘अगर हम इन 13 प्रोसेस को टारगेट करके उलट सकें तो संभव है कि इंसान या तो वापस अपने 30वें दशक की स्थिति में लौट आए या फिर सैकड़ों साल तक उसी उम्र में बना रहे. अभी ये प्रयोग सिर्फ कीड़े-मकोड़े, मछलियों और चूहों पर सफल हुए हैं, लेकिन संभावनाएं बहुत बड़ी हैं.’
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