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अगरबत्ती के धुएं से बढ़ रहा कैंसर-सांस की बीमारियों का खतरा! डॉक्टर ने बताया कैसे हो रहे फेफड़े खराब – Burning Incense agarbatti Daily as Harmful as Smoking Effects on Lungs according to Doctor tvisx


Harmful Effects of Incense and Agarbatti Smoke: भारत में अधिकतर लोग पूजा-पाठ या घर में अच्छी खुशबू के लिए धूप और अगरबत्ती जलाते हैं. कई लोग मानते हैं कि इससे घर का माहौल पॉजिटिव होता है और हवा भी शुद्ध होती है, लेकिन सच्चाई थोड़ी अलग है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपके घरों में रोजाना जलाई जाने वाली धूप और अगरबत्ती आपकी सेहत के लिए जानलेवा साबित हो सकती है.

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) की रिसर्च के मुताबिक, घरों में रोजाना जलाई जाने वाली धूप और अगरबत्ती हमारी हेल्थ को नुकसान पहुंचाती है. इससे निकलने वाला धुआं धीरे-धीरे हमारे लंग्स को बीमार करता है. धूप और अगरबत्ती से निकलने वाला धुआं सिगरेट से भी ज्यादा हमारी सेहत को खतरा पहुंचा जाता है.

धूप और अगरबत्ती का धुआं क्यों है खतरनाक?

दिल्ली के सीके बिड़ला अस्पताल में पल्मोनोलॉजी डिपार्टमेंट के डायरेक्टर डॉ.विकास मित्तल ने Aajtak.in से बातचीत में बताया, ‘अगरबत्ती जलाने से PM 2.5 और PM 10 जैसे छोटे-छोटे पार्टिकल और केमिकल (VOCs) निकलते हैं जो सिगरेट के धुएं जैसे ही नुकसान पहुंचा सकते हैं. इन कणों में निकोटीन भी हो सकता है जो सेहत पर असर डाल सकता है. अगर घर पूरी तरह हवादार न हो तो ये धुएं जमा हो जाते हैं. ये फेफड़ों में जमा होकर सूजन, एलर्जी और सांस की समस्या बढ़ा सकते हैं.

ताइवान और हांगकांग में रिसर्च दिखाती है कि अगरबत्ती जलने पर घर के अंदर PM 2.5 का लेवल सुरक्षित सीमा से ऊपर पहुंच सकता है, यानी ये हवा में हानिकारक मात्रा में फैलता है. बंद कमरे में रोजाना अगरबत्ती जलाना फेफड़ों और हेल्थ के लिए जोखिम बढ़ा सकता है, क्योंकि हवा में हानिकारक कण बढ़ जाते हैं.

लंबे समय तक अगरबत्ती के धुएं का खतरा

डॉ. मित्तल ने कहा, ‘रोजाना अगरबत्ती जलाने से सांस की बीमारियां जैसे अस्थमा, एलर्जिक राइनाइटिस और क्रोनिक ब्रोंकाइटिस होने का खतरा बढ़ जाता है. 2020 में एक रिसर्च में पाया गया कि स्कूल के बच्चों में रोजाना अगरबत्ती के धुएं के संपर्क से फेफड़ों की क्षमता (FEV1 और FVC) कम हो गई थी.’

इसका मतलब है कि बच्चों के फेफड़े हवा को ठीक से अंदर या बाहर नहीं निकाल पा रहे थे. 2020 में एशियन पॉपुलेशन पर हुई स्टडी में पाया गया कि जो लोग लंबे समय तक रोजाना अगरबत्ती जलाते रहे, उनमें फेफड़ों के कैंसर का खतरा थोड़ा बढ़ गया. ये जोखिम उन लोगों में ज्यादा होता है जो पहले से धूम्रपान करते हैं या अन्य बीमारियों से पीड़ित हैं.

अगरबत्ती का धुआं किसे ज्यादा प्रभावित करता है?

सिगरेट की वजह से उसे पीने वाला और उसके आसपास के लोगों को ज्यादा खतरा होता है. मगर घर में जलाई जाने वाली अगरबत्ती और धूप के धुएं से किसे ज्यादा खतरा होता है. इस सवाल पर डॉ.विकास ने बताया है कि बच्चों, प्रेग्नेंट लेडीज और बुजुर्गों को इससे बचाना सबसे जरूरी है.

  • बच्चे: उनके फेफड़े और इम्यून सिस्टम का अभी विकास हो रहा होता है, इसलिए उन्हें धुएं से जल्दी एलर्जी और सांस की दिक्कत हो सकती है.

  • प्रेग्रेंट महिलाएं: मां बनने वाली महिलाएं अगर अगरगबत्ती के धुएं के टच में आती हैं तो होने वाले बच्चे का वजन कम हो सकता है और उसकी नसों/मोटर स्किल्स पर असर पड़ सकता है.

  • बुजुर्ग और पहले से बीमार लोग: बुजुर्गों को इस धुएं से ज्यादा नुकसान होता है. उनके अलावा जिन लोगोंं को पहले से फेफड़ों की बीमारी या कोई दूसरी परेशानी होती है उनको भी इसके संपर्क में आने से दिक्कत बढ़ सकती है. 

रोजाना और कभी-कभार इस्तेमाल में फर्क?

‘किसी जहरीली चीज के कभी-कभी कभार इस्तेमाल और रोजाना इस्तेमाल में मुख्य अंतर होता है वो संचयी (कुमुलेटिव एक्सपोजर) की वजह से होता है. संचयी एक्सपोजर यानी जब आप किसी चीज का हर दिन इस्तेमाल करते हैं तो आपका शरीर लगातार कम लेवल के एक्सपोजर के संपर्क में आता रहता है. समय के साथ, ये छोटा-छोटा एक्सपोजर एक बड़ी मात्रा में बदल जाता है.’

  • कभी-कभार अगरगबत्ती जलाना जैसे महीने में 2–3 बार और अच्छी हवादार जगहों में जलाना आम तौर पर कम खतरनाक होता है.
  • रोजाना और बंद कमरे में जलाना खतरनाक हो सकता है और फेफड़ों की क्षमता कम कर सकता है.
  • सांस की तकलीफ बढ़ा सकता है और ये क्रोनिक यानी लंबे समय तक लगातार नुकसान कर सकता है.

इन आसान तरीकों से करें बचाव

  • पूजा या अगरबत्ती जलाते समय खिड़की-दरवाजा खुला रखें ताकि धुआं बाहर निकल जाए.
  • रोज जलाने की आदत छोड़ें, सिर्फ खास मौकों पर ही जलाएं.
  • घर को फ्रेश रखने के लिए नेचुरल तरीके अपनाएं, जैसे फूलों की खुशबू या एयर प्यूरीफायर.
  • छोटे बच्चों और बुजुर्गों के कमरे में धूप या अगरबत्ती न जलाएं.

धूप और अगरबत्ती हमारी परंपरा का हिस्सा जरूर हैं, लेकिन इनका धुआं शरीर को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचा सकता है. इसलिए जितना जरूरी हो इनका इतना ही इस्तेमाल सोच-समझकर और लिमिट में करना चाहिए. इसलिए घर में हमेशा खुली या हवादार जगहों पर ही धूप और अगरबत्ती को जलाना चाहिए, ताकि इससे निकलने वाला धुआं एक तरह पर जमा न हो. 

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