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सेना की फर्जी मुहर, सोने और ड्रग्स की तस्करी… ऐसे पकड़ा गया केरल से भूटान तक फैला स्मगलर गैंग – kerala bhutan car smuggling gang operation numkhor gold drug trafficking ntcpvz


Operation Numkhor: केरल में कस्टम विभाग ने एक अन्तर्राष्ट्रीय तस्करी रैकेट का पर्दाफाश किया है. यह एक संगठित तस्करी गिरोह था, जो सेकेंड हैंड लग्जरी कारों के जरिए सोना, ड्रग्स और करेंसी की तस्करी करता था. इस संयुक्त कार्रवाई को नाम दिया गया ‘ऑपरेशन नुमखोर’, जिसका मतलब भूटान की जोंगखा भाषा में ‘वाहन’ होता है. इस ऑपरेशन को सीमा शुल्क अधिकारियों ने एटीएस, परिवहन आयुक्तालय और राज्य पुलिस की मदद से अंजाम दिया.

कोचीन में मौजूद सीमा शुल्क (निवारक) आयुक्तालय के हवाले से जारी एक प्रेस नोट के मुताबिक, जांच एजेंसियों को खुफिया सूचना मिली थी कि भारत-भूटान सीमा के रास्ते महंगी कारों की तस्करी हो रही है. दरअसल, भारत में सेकेंड हैंड कारों का आयात प्रतिबंधित है, जब तक कि उन्हें अधिकृत सीमा शुल्क पोर्ट से 160% ड्यूटी चुकाकर न लाया जाए. लेकिन तस्कर इस नियम को दरकिनार कर जाली दस्तावेज़ों और फर्जी मुहरों के सहारे वाहनों को देश में धड़ल्ले से ला रहे थे.

इन कारों को भारत में लाने के लिए तस्करों का रैकेट तीन तरीके अपनाता था- 

  • पहला तरीका – उन्हें पूरी तरह क्षतिग्रस्त हालत (सीकेडी) में दिखाना. 
  • दूसरा तरीका – कंटेनर ट्रक में छिपाकर भेजना. 
  • तीसरा तरीका – टूरिस्ट व्हीकल बताकर, जिन्हें बाद में यात्री यहीं छोड़ देते थे. 

खास बात ये है कि इस पूरे नेटवर्क को कोयंबटूर से संचालित किया जा रहा था. जांच में सामने आया कि ये तस्करी सिर्फ कारों तक सीमित नहीं थी. कई मामलों में इन वाहनों का इस्तेमाल सोने और मादक पदार्थों की स्मगलिंग के लिए भी किया गया. इतना ही नहीं, भारतीय और विदेशी मुद्रा को भी बड़े पैमाने पर भूटान भेजा जाता था. इस तरह यह गैंग मल्टी-लेयर्ड क्रॉस-बॉर्डर स्मगलिंग सिंडिकेट बन चुका था.

इस गिरोह की जड़ें बहुत गहरी थीं. कोयंबटूर का यह नेटवर्क कई हाई-नेटवर्थ इंडिविजुअल्स यानी अमीर कारोबारियों और प्रभावशाली लोगों से जुड़ा हुआ था. ये लोग अनजाने में तस्करी के हिस्से बनते गए, क्योंकि उन्होंने इन अवैध कारों को खरीद लिया. दरअसल, ये कारें उन्हें सस्ती कीमत पर उपलब्ध कराई जाती थीं.

सीमा शुल्क आयुक्त टी. तिजू ने बताया कि कई एजेंसियों से मिले इनपुट्स को जोड़कर इस ऑपरेशन की योजना बनाई गई थी. खुफिया जानकारी से पुष्टि हुई कि कारों के जरिए तस्करी का बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है. इसके बाद ही समन्वित अभियान चलाकर इस गैंग को पकड़ने की रणनीति बनी.

ऑपरेशन नुमखोर की कार्रवाई बेहद सटीक और तेज थी. एक ही दिन में 36 महंगी कारें जब्त कर ली गईं. जांच टीम का मानना है कि केवल केरल में ही ऐसे 150 से 200 अवैध वाहन मौजूद हैं. जिनमें से कई को पहले ही ट्रैक कर लिया गया है और बाकी की तलाश अभी भी जारी है.

इस पूरे सिंडिकेट का असली मकसद था तस्करी से मोटा मुनाफा कमाना. महंगे वाहनों को अवैध तरीके से लाकर ब्लैक मार्केट में बेचा जाता. वहीं इन्हीं गाड़ियों का इस्तेमाल सोने और ड्रग्स जैसे हाई-वैल्यू कन्साइनमेंट्स को छिपाने में किया जाता. इससे एक कार से करोड़ों रुपए का धंधा खड़ा हो जाता था.

कस्टम अधिकारियों ने बताया कि गिरोह ने सभी लेन-देन अवैध चैनल से किए. इन सौदों का कोई वित्तीय रिकॉर्ड मौजूद नहीं है. यहां तक कि कई गाड़ियों को फर्जी रजिस्ट्रेशन और सेना की मुहरों का इस्तेमाल करके पास कराया गया. इससे आसानी से चेक पोस्ट्स को धोखा दिया जा सकता था. फिलहाल ‘ऑपरेशन नुमखोर’ के तहत जांच जारी है. 

अब तक जो सबूत मिले हैं, उनसे साफ है कि यह गैंग सिर्फ केरल ही नहीं बल्कि कई राज्यों और भूटान तक फैला हुआ है. अधिकारियों का दावा है कि आने वाले दिनों में और बड़ी गिरफ्तारियां और जब्ती की कार्रवाई की जाएगी. यह केस तस्करी के नए तरीकों और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के खतरनाक गठजोड़ को उजागर करता है.

(कोचीन से शिबिमोल का इनपुट)

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