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कौन है दिल्ली का वो शख्स, जिसके साथ हुई सबसे बड़ी साइबर ठगी… एक महीने में गंवा दिए 23 करोड़ – Who is this man Delhi biggest cyber fraud victim lost 23 crore lcla


देश में बड़ा डिजिटल अरेस्ट केस दिल्ली से सामने आया है. यहां एक शख्स लगभग 1 महीने तक साइबर क्रिमिनल्स की डिजिटल ‘कैद’ में रहा. और इसी के साथ ठगों ने 23 करोड़ रुपये हड़प लिए. इस पीड़ित शख्स का नाम नरेश मल्होत्रा है, जो एक रिटायर बैंकर हैं. नरेश मल्होत्रा साल 2020 में सेवा से रिटायर हुए थे. वे साउथ दिल्ली के गुलमोहर पार्क इलाके में अकेले रहते हैं.

नरेश मल्होत्रा के साथ ठगी की ये कहानी 1 अगस्त 2025 को शुरू हुई. उनके पास एक कॉल आया. कॉल पर एक महिला थी, जिसने कहा कि वह मोबाइल सेवा कंपनी के हेडक्वार्टर से बात कर रही है. कॉल पर कहा गया कि नरेश का लैंडलाइन नंबर कॉम्प्रोमाइज हो गया है और मुंबई में उनके नाम पर बैंक खाते खुले हैं. उन्हें बताया गया कि पुलवामा केस में 1,300 करोड़ की टेरर फंडिंग हुई है, और NIA एक्ट के तहत उन्हें अरेस्ट किया जा रहा है.

इसके बाद साइबर अपराधियों ने नरेश को लगातार धमकाया. कहा गया कि उनकी सारी प्रॉपर्टी सीज की जाएगी, बैंक खाते, एफडी, लॉकर्स, शेयर और बच्चों की जानकारी साझा करनी होगी. हर दो घंटे पर जांच होगी और अगर किसी से बात करेंगे तो एंटी मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत गिरफ्तार किया जाएगा.

एक महीने की डिजिटल कैद

साइबर अपराधियों ने 1 अगस्त से 16 सितंबर तक लगभग 45 दिन तक नरेश को मानसिक और डिजिटल रूप से ‘कैद’ में रखा. उन्होंने नरेश के घर और बैंक खाते की हर छोटी-बड़ी जानकारी मांगी. उन्हें मोबाइल पर वीडियो कॉल से जुड़े रहने के लिए कहा गया और बार-बार चेतावनी दी गई कि अगर आदेशों का पालन नहीं किया तो गिरफ्तारी होगी.

मल्होत्रा की निजी जिंदगी को भी निशाना बनाया गया. बेटियां शादीशुदा, पत्नी का देहांत हो चुका था और दो बेटे हैं. उन्होंने इन सब बातों को जानकर और डराते हुए नरेश को अकेला और असहाय महसूस कराया.

स्टॉक्स और बैंक ट्रांसफर के जाल में फंसा पैसा

साइबर अपराधियों ने नरेश से उसके स्टॉक्स बेचने और बैंक खातों के माध्यम से पैसे ट्रांसफर कराने के लिए निर्देश दिया. 4 अगस्त से 4 सितंबर तक अलग-अलग खातों में पैसा ट्रांसफर करवाया गया. पहले 12 करोड़ 84 लाख रुपये और फिर 9 करोड़ 90 लाख रुपए- कुल मिलाकर लगभग 22 करोड़ 92 लाख रुपये की ठगी हुई.

नरेश के अनुसार, आरोपियों ने इसे इतना प्रॉफेशनल बना दिया कि हर कदम का साक्ष्य उन्हें भेजते रहे, साथ ही यह भरोसा दिलाया कि पैसा जल्द लौट जाएगा, लेकिन यह सब साजिश थी.

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आरोपियों ने नरेश को यह भी बताया कि ED और सुप्रीम कोर्ट इस मामले में शामिल हैं. फर्जी ऑर्डर और रिजर्व बैंक के नाम पर दस्तावेज दिखाकर उन्होंने नरेश से 5 करोड़ रुपये अलग से जमा करने को कहा. हर ट्रांसफर के बाद उन्हें बताया गया कि पैसा सुप्रीम कोर्ट और RBI में सुरक्षित रखा जाएगा. इसके अलावा उन्होंने नरेश को यह भी धमकाया कि किसी से बात न करें, उन्हें 24 घंटे निगरानी में रखा गया और लगातार मानसिक दबाव में रखा गया.

हालांकि नरेश डर के बावजूद पूरी घटना को परिवार के सामने साझा नहीं कर पाए. साइबर अपराधियों की रणनीति इतनी शातिर थी कि नरेश सक्सेना को लगा कि वे हर वक्त निगरानी में हैं. बावजूद इसके उन्होंने इनवेस्टमेंट और बैंक ट्रांसफर के हर कदम पर सावधानी बरती और पैसे को फर्जी खातों में भेजने से इनकार कर दिया. मगर बाद में साइबर ठगों की धमकियों से प्रभाव में आकर उनके साथ ठगी हो गई.

जानकारों का कहना है कि पेशेवर साइबर अपराधी डिजिटल तरीके से किसी को भी अरेस्ट करने जैसा डर दिखाकर बड़ी रकम ठग सकते हैं. अकेले रहने वाले बुजुर्ग, रिटायर पेशेवर या डिजिटल समझ कम रखने वाले लोग आसानी से इस जाल में फंस सकते हैं.

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