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पीएम मोदी ने नेपाल के हालात पर जताई चिंता, शांति और स्थिरता बनाए रखने की अपील की – pm modi expresses concern over nepal crisis appeals for peace and stability ntc


नेपाल एक बार फिर गंभीर राजनीतिक संकट में फंस गया है. मंगलवार को हालात और बिगड़ गए. राजधानी काठमांडू और कई अन्य शहरों में छात्रों के नेतृत्व वाले Gen Z आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया. संसद भवन, नेताओं के घर और सरकारी इमारतें आग के हवाले की जा चुकी हैं. स्थिति के मद्देनजर प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया.

इस पर भारत ने आधिकारिक स्तर पर अपनी चिंता जताई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक संदेश जारी करते हुए नेपाल की जनता से शांति का समर्थन करने की अपील की. अपने संदेश में उन्होंने कहा कि नेपाल की घटनाएं बेहद दर्दनाक हैं, खासकर इसलिए कि कई युवा अपनी जान गंवा चुके हैं.

पीएम मोदी ने लिखा, “हिमाचल प्रदेश और पंजाब से लौटने पर आज सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक में नेपाल के घटनाक्रम पर चर्चा हुई. नेपाल में हिंसा हृदयविदारक है. मुझे इस बात का दुःख है कि कई युवाओं ने अपनी जान गंवाई है. नेपाल की स्थिरता, शांति और समृद्धि हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. मैं नेपाल के सभी भाइयों और बहनों से विनम्रतापूर्वक शांति का समर्थन करने की अपील करता हूं.”

नेपाल में हालात कैसे बिगड़े

बता दें कि सोमवार को सोशल मीडिया बैन के खिलाफ शुरू हुआ विरोध अचानक बड़े जनआंदोलन में बदल गया. छात्रों के नेतृत्व वाले इस आंदोलन ने सरकार और राजनीतिक नेताओं पर भ्रष्टाचार और जनता की अनदेखी का आरोप लगाया. मंगलवार को प्रदर्शनकारियों ने पूर्व प्रधानमंत्री झलनाथ खनाल के घर को आग लगा दी, जिसमें उनकी पत्नी राजलक्ष्मी चित्रकार गंभीर रूप से झुलस गईं और बाद में अस्पताल में उनकी मौत हो गई.

भीड़ ने केपी शर्मा ओली के निजी निवास, राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल, पूर्व पीएम पुष्प कमल दहल, शेर बहादुर देउबा और कई अन्य नेताओं की संपत्तियों को भी निशाना बनाया. ललितपुर और काठमांडू के कई इलाकों में टायर जलाकर सड़कें जाम की गईं, पथराव और आगजनी हुई.

सेना और राष्ट्रपति की अपील

राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने देशवासियों से शांति बनाए रखने की अपील की और कहा कि सभी पक्ष मिलकर कठिन हालात से बाहर निकलने का रास्ता निकालें. वहीं, नेपाली सेना और सुरक्षा एजेंसियों ने भी संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा कि संवाद ही समाधान का रास्ता है और सभी को संयम बरतना चाहिए.

73 वर्षीय ओली ने राष्ट्रपति को दिए इस्तीफे में लिखा कि असाधारण परिस्थितियों में वे पद छोड़ रहे हैं ताकि संवैधानिक और राजनीतिक समाधान का रास्ता निकल सके. वे जुलाई 2024 में चौथी बार प्रधानमंत्री बने थे और जल्द ही भारत दौरे पर आने वाले थे.

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