Weight loss oral pill: मोटापा घटाने और शुगर को कंट्रोल करने वाली दवाइयां काफी चर्चा में बनी हुई है और दुनिया भर के लाखों-करोड़ों लोग इन दवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं. भारत में वेगोवी और मौनजारो दवाइयां आधिकारिक रूप से लॉन्च हो चुकी हैं जो इंजेक्शन के रूप में हैं. हाल ही में वेगोवी इंजेक्शन बनाने वाली कंपनी नोवो नॉर्डिस्क ने दावा किया है कि उनकी ब्लॉकबस्टर वेगोवी इंजेक्शन के ही जैसे ही उनकी एक्सपेरिमेंटल ओरल टेबलेट (गोली) भी वजन कम करने में सफल हुई है. न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में पब्लिश आंकड़ों के मुताबिक, डेनिश फार्मास्युटिकल फर्म नोवो नॉर्डिक्स ने कहा कि चरण 3 ओएसिस 4 टेस्टिंग के रिजल्ट से पता चला है कि मौखिक सेमाग्लूटाइड गोली से मोटापे या अधिक वजन वाले लोगों का 64 सप्ताह के बाद औसतन 16.6% वजन कम हुआ.
मरीजों को मिलेंगे ऑपशंस
नोवो नॉर्डिस्क के चीफ साइंस ऑफिसर मार्टिन होल्स्ट लैंग ने मीडिया को बताया, ‘वेगोवी गोली’ नाम से प्रसिद्ध इस ओरल ड्रग ने मरीजों को मौजूदा हफ्ते में एक बार दिए जाने वाले इंजेक्शन का एक महत्वपूर्ण विकल्प प्रदान किया है. हमारा काम यह दिखाना था कि टैबलेट से भी हमें इंजेक्शन जैसी ही प्रभावकारिता, सुरक्षा मिल सकती है और हम ऐसा करने में सफल हुए हैं. इसका मूलतः यह अर्थ है कि हम मरीजों को टैबलेट और इंजेक्शन के बीच विकल्प दे सकते हैं और इससे कुछ मरीजों को लाभ होगा.’
जीएलपी-1 दवा पर आधारित है गोली
नोवो नॉर्डिस्क के ओरल ट्रीटमेंट सेमाग्लूटाइड जीएलपी-1 दवा पर आधारित हैं जो कंपनी के मौजूदा मोटापा और डायबिटीज ट्रीटमें वेगोवी और ओजेम्पिक, का आधार है. वेगोवी ने पूर्व में एक रिसर्च में यह भी बताया था कि अधिक वजन या मोटापे वाले रोगियों में वेगोवी औसतन 15% तक वजन कम करने में सक्षम पाई गई थी.
यह गोली फिलहाल अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन के पास रिव्यू के लिए है क्योंकि इसे फरवरी में नई दवा के लिए आवेदन के तहत जमा किया गया था. इस साल की चौथी तिमाही में इस पर फैसला आने की उम्मीद है. कंपनी ने कहा कि यदि मंजूरी मिल जाती है तो यह गोली पूरी तरह से अमेरिका में बनाई जाएगी. यह ऐसे समय में आया है जब ग्लोबल फार्मा कंपनियां घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए ट्रम्प प्रशासन के दबाव के बीच अमेरिका में अपने निवेश को बढ़ा रही हैं.
मोटापे की गोली की दौड़ में कंपनियां
फ़िलहाल बाज़ार में GLP-1s का कोई आधिकारिक ओरल वैरिएंट लॉन्च नहीं हुआ है हालांकि तेजी से बढ़ते कॉम्पिटिशन के कारण ये गोलियां उन कंपनियों के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर मानी जा रही हैं जो इन दवाओं को और अधिक सुलभ बनाना चाहती हैं, जिनमें सुइयों से परहेज करने वाले लोग भी शामिल हैं. अब देखना यह है कि ये दवाइयां कब मार्केट में आती हैं और कंपनियों के साथ-साथ मरीजों को क्या फायदे होते हैं.
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