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फर्जी ट्रस्ट, नकली टेंडर और करोड़ों की ठगी.. दिल्ली पुलिस के हत्थे चढ़ा फर्जी IAS अफसर – delhi police nabs man posing ias officer pan India fraud opnm2


दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने देशभर में ठगी का जाल फैलाने वाले एक बड़े मास्टरमाइंड को गिरफ्तार किया है. आरोपी का नाम सौरभ सिंह है. उसने खुद को आईएएस अधिकारी बताकर विक्रेताओं को विश्वास में लिया और राष्ट्रीय ग्रामीण साक्षरता मिशन (आरजीएसएम) योजना की आड़ में करोड़ों रुपए का गोरखधंधा किया. आरोपी ने अब तक 2 करोड़ रुपए से अधिक की ठगी की है.

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि आरोपी सौरभ सिंह की गिरफ्तारी 15 सितंबर को यूपी की राजधानी लखनऊ से की गई. वो पिछले कई महीनों से दिल्ली और उत्तर प्रदेश पुलिस की निगरानी में था. दरअसल, जुलाई महीने में उसके दो सहयोगी रत्नाकर उर्फ करुणाकर उपाध्याय और अनीता उपाध्याय गिरफ्तार किए जा चुके थे. इन्हीं से मिली जानकारी के बाद सौरभ सिंह की तलाश तेज की गई थी.

पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि आरोपी ने एक फर्जी ट्रस्ट बनाया और उसकी वेबसाइट को सरकारी योजना जैसी शक्ल दी. इस वेबसाइट पर फर्जी निविदाएं प्रकाशित की गईं और आरजीएसएम को ‘भारत सरकार का उपक्रम’ बताने के लिए जाली लेटरहेड का इस्तेमाल किया गया. लोगों का भरोसा जीतने के लिए खुद को आईएएस अधिकारी बताता था. उसने बच्चों के यूनिफॉर्म की आपूर्ति के अनुबंध भी कराए.

आपूर्ति लेने के बाद आरोपी ने भुगतान नहीं किया. उल्टे विक्रेताओं से कमीशन, बयाना राशि और स्टांप शुल्क के नाम पर मोटी रकम वसूली. एक शिकायतकर्ता से तो उसने करोड़ों की यूनिफॉर्म सप्लाई करवाई और लगभग 2 करोड़ रुपए टेंडर आवंटन के नाम पर कमीशन के रूप में वसूल लिए. पुलिस ने 45 हजार यूनिफॉर्म (1.5 करोड़), 2.79 लाख कैश, एक सोने की चेन, अंगूठी और कार जब्त किए हैं.

इसके अलावा आरोपियों द्वारा खरीदे गए दो फ्लैटों की भी पहचान कर ली गई है, जिन्हें कुर्क किया जाएगा. आरोपी रत्नाकर का आपराधिक रिकॉर्ड पुलिस को चौंकाने वाला मिला. उसके खिलाफ उत्तर प्रदेश में धोखाधड़ी, जालसाजी और बलात्कार के 10 से ज्यादा मामले दर्ज हैं. वहीं ट्रस्ट की प्रमुख अनीता उपाध्याय, आरजीएसएम खातों की अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता थी. ठगी की रकम की सीधी लाभार्थी है.

एसीपी (ईओडब्ल्यू) अमृता गुगुलोथ ने बताया कि गिरफ्तारी से पहले फरार सौरभ सिंह पर अयोध्या में गैंगस्टर एक्ट और जालसाजी के दो केस पहले से दर्ज थे. दिल्ली में इस गिरोह के खिलाफ छह केस दर्ज हैं, जबकि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में भी इसी तरह के मामले लंबित हैं. यह गिरोह बड़े ही सुनियोजित तरीके से सरकारी योजना का झांसा देकर देशभर में ठगी कर रहा था.

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