हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी (HCU) के छात्र संघ चुनाव में आरएसएस से जुड़ा एबीवीपी संगठन बड़े अंतर से जीता है. इस जीत में एबीवीपी ने वामपंथी छात्र संगठनों और कांग्रेस से जुड़े एनएसयूआई (NSUI) दोनों को पीछे छोड़ दिया. एबीवीपी पैनल से शिवा पालेपु अध्यक्ष, देवेंद्र उपाध्यक्ष, श्रुति महासचिव, सौरभ शुक्ला संयुक्त सचिव, ज्वाला प्रसाद खेल सचिव और वीनस सांस्कृतिक सचिव बने.
एबीवीपी ने अन्य छोटे-छोटे पदों पर भी जीत दर्ज करके पूरा बहुमत हासिल किया. इस जीत को खास इसलिए माना जा रहा है क्योंकि पिछले छह सालों से विश्वविद्यालय में वामपंथी, दलित और एनएसयूआई का दबदबा रहा था. एबीवीपी ने कहा कि उनकी जीत छात्रों के राष्ट्रवाद के समर्थन और “विभाजनकारी राजनीति” को नकारने की निशानी है. खास बात यह रही कि सामाजिक विज्ञान जैसे विभागों में भी एबीवीपी को जीत मिली, जबकि वहां आमतौर पर वामपंथी विचारधारा का प्रभाव ज्यादा रहता है.
ABVP पैनल का दबदबा
ABVP पैनल से शिवा पालेपु अध्यक्ष, देवेंद्र उपाध्यक्ष, श्रुति महासचिव, सौरभ शुक्ला संयुक्त सचिव, ज्वाला प्रसाद खेल सचिव और वीनस सांस्कृतिक सचिव चुने गए. अन्य छोटे पदों पर भी ABVP ने जीत दर्ज कर बहुमत हासिल किया.
छह साल बाद टूटा वामपंथी-NSUI का दबदबा
पिछले छह वर्षों से HCU में वामपंथी, दलित और NSUI संगठनों का प्रभुत्व रहा था. ABVP की जीत को छात्रों के बदलते रुझान और राष्ट्रवादी विचारधारा की ओर झुकाव का संकेत माना जा रहा है.
NSUI की करारी हार, NOTA से भी कम वोट
चौंकाने वाली बात यह रही कि कांग्रेस से जुड़ा NSUI उम्मीदवारों को NOTA (None of the Above) से भी कम वोट मिले. जबकि राज्य में कांग्रेस की सरकार है, फिर भी विश्वविद्यालय स्तर पर NSUI का कमजोर प्रदर्शन चर्चा का विषय बन गया.
राष्ट्रवाद बनाम वैचारिक राजनीति
ABVP प्रवक्ता अंतरिक्ष ने कहा कि यह जीत छात्रों की “राष्ट्रवाद के प्रति प्रतिबद्धता” और “विभाजनकारी राजनीति को नकारने” की निशानी है. उन्होंने कहा कि सामाजिक विज्ञान विभाग जैसे वामपंथी प्रभाव वाले क्षेत्रों में भी ABVP की जीत छात्रों की सोच में बदलाव को दर्शाती है. ABVP ने इस जीत को HCU के इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण करार दिया और कहा कि यह परिणाम परिसर में शांति, छात्र समस्याओं के समाधान और यूनिवर्सिटी की जमीन की सुरक्षा के उनके प्रयासों का नतीजा है.
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