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DU में एबीवीपी, JNU में लेफ्ट… जानें और किन विश्वविद्यालयों में है किनका दबदबा – dusu election results 2025 north india universities student politics tstsd


DUSU चुनाव के आज परिणाम आने वाले हैं. अध्यक्ष पद के लिए मैदान में एनएसयूआई और एबीवीपी के बीच कड़ी टक्कर दिख रही है. अब तक जो रुझान आए हैं, उसके मुताबिक  लेफ्ट संगठनों के उम्मीदवार रेस से बाहर दिख रहे हैं. नतीजा आने के बाद शाम तक परिदृश्य साफ हो जाएगा. ऐसे में  हिंदी पट्टी के कुछ प्रमुख विश्वविद्यलयों की छात्र राजनीति पर एक नजर डालते हैं.  कहां किन संगठनों का दबदबा रहा और कैसे सियासी हालात बदलते गए. 

देश की राजधानी में दिल्ली यूनिवर्सिटी के अलावा जेएनयू (जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय) एक प्रमुख संस्थान है, जिसे भारत की सियासी नर्सरी कहा जाता है. यहां से निकले कई छात्र नेता आज केंद्र की सियासत में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं. चाहे वो सत्ता पक्ष में हों या विपक्ष में. जेएनयू में हमेशा से वामपंथी संगठन का दबदबा रहा है. वर्तमान में भी आईसा के नीतीश कुमार जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष हैं. 

जेएनयू में रहा है लेफ्ट विंग का दबदबा
नीतीश कुमार मूलरूप से बिहार के अररिया जिले के रहने वाले हैं. उन्होंने इस साल अप्रैल में हुए छात्रसंघ चुनाव में एबीवीपी की शिखा स्वराज को हराया है. नीतीश कुमार शुरू से लेफ्ट विंग में नहीं थे. उनकी स्कूली पढ़ाई सरस्वती विद्या मंदिर से हुई है और जेएनयू आने के बाद वो आइसा से जड़े. जेएनयू छात्रसंघ का इतिहास देखा जाए तो वहां शुरू से लेफ्ट का दबदबा रहा है. 

2016 में बिहार के कन्हैया कुमार लेफ्ट से अध्यक्ष बने थे. इसके बाद से लेकर अब तक पिछले सात साल से वहां आईसा का दबदबा रहा है. वहीं यहां हमेशा से दूसरे नंबर पर एबीवीपी के प्रत्याशी रहे हैं. यानी जेएनयू में लेफ्ट और राइट सियासत की दो अहम धूरी रहे हैं. 

हिंदी पट्टी में बदलती रही है छात्र राजनीति की तस्वीर
हिंदी पट्टी की बात करें तो दिल्ली के बाद यूपी, बिहार, राजस्थान और उत्तराखंड का नंबर आता है. अगर हम बिहार की बात करें तो यहां की छात्र राजनीति का गढ़ पटना यूनिवर्सिटी है. पटना यूनिवर्सिटी में अध्यक्ष पद पर फिलवक्त एबीवीपी की मैथिली मृणालिनी काबिज हैं. मैथिली यूनिवर्सिटी की पहली महिला अध्यक्ष चुनी गई. इनसे पहले पीयू से कभी कोई महिला इस पद पर जीत दर्ज नहीं कर पाई थीं. 

पटना यूनिवर्सिटी में पहली बार महिला अध्यक्ष बनीं  एबीवीपी की मैथिली 
मैथिली बिहार के मुंगेर जिला की रहने वाली हैं. उनका मुकाबला एनएसयूआई के मनोरंज कुमार राजा से रहा था. इस चुनाव में न सिर्फ मैथिली बल्कि अन्य पदों पर भी महिला उम्मीदवारों का दबदब रहा था. यही वजह है कि इस चुनाव को कैंपस की बदलती सियासत के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है.  

पटना यूनिवर्सिटी की सियासी बिसात राज्य और केंद्र की राजनीति से हमेशा प्रभावित रही है. यही वजह है कि इससे पहले 2022 में जब पिछली बार चुनाव हुआ था तो सेंट्रल पैनल के चार पदों पर छात्र जदयू का कब्जा रहा था. आनंद मोहन पीयू छात्र संघ के अध्यक्ष बने थे. उससे पहले 2019 में जाप के मनीष यादव अध्यक्ष बनें थे और 2012 में एबीवीपी के आशीष सिन्हा ने अध्यक्ष पद पर कब्जा जमाया था. 

बीएचयू में आईसा के राजेश हैं छात्रसंघ अध्यक्ष
वहीं उत्तर प्रदेश के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय बीएचयू की छात्र राजनीति पर नजर डालते है तो यहां का सियासी परिदृश्य पर राज्य की मुख्य राजनीति से अलग दिखती है. क्योंकि यहां आइसा के राजेश कुमार को छात्रसंघ अध्यक्ष के रूप में चुना गया है. कई सालों बाद बीएचयू में छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव हुआ. क्योंकि यहां अलग-अलग वजहों से छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगते आए हैं और विगत कई सालों तक यहां कोई चुनाव नहीं हुआ था.  

राजस्थान यूनिवर्सिटी में निर्दलीय उम्मीदवार निर्मल चौधरी बने थे अध्यक्ष
राजस्थान हिंदी पट्टी का एक बड़ा राज्य है. यहां राजस्थान यूनिवर्सिटी कैंपस के सियासी हलचल पर पूरे देश की नजर रहती है.2022 के बाद से यहां चुनाव नहीं हुआ है. 2022 से राजस्थान यूनिवर्सिटी छात्रसंघ के अध्यक्ष निर्मल चौधरी हैं. निर्मल चौधरी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की थी. हालांकि, बाद में वो कांग्रेस के छात्र विंग एनएसयूआई से जुड़ गए. 

गढवाल यूनिवर्सिटी में अध्यक्ष पद पर है एबीवीपी का कब्जा 
इसी तरह अगर हम उत्तरांखड की बात करें तो यहां के हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ अध्यक्ष एबीवीपी के जसवंत सिंह राणा हैं. उन्होंने जय हो संगठन के विरेंद्र सिंह को 485 मतों के अंतर से हराया था. यहां अलग-अलग पदों पर अलग-अलग संगठनों का दबदबा रहा. 

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पंजाब यूनिवर्सिटी में भी एबीवीपी के गौरव बने हैं अध्यक्ष 
यहां उत्तर भारत के हिंदी पट्टी के संस्थानों की छात्र राजनीति पर बात हो रही है. ऐसे में उत्तर भारत के प्रमुख विश्वविद्यालयों में एक पंजाब यूनिवर्सिटी पर चर्चा किए बिना बात अधूरी रह जाएगी. क्योंकि पंजाब यूनिवर्सिटी की छात्र राजनीति पर मुख्य धारा की सियासत में अहम स्थान रखता है. पंजाब यूनिवर्सिटी में भी इस बार चुनाव में एबीवीपी ने कब्जा कर लिया है. यहां एबीवीपी के गौरव वीर सोहल अध्यक्ष बने हैं. गौरव ने हिमाचल स्टूडेंट यूनियन के सुमित कुमार को हराकर जीत दर्ज की है. 

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