भारतीय सेना ने अपनी ताकत को और मजबूत करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. पुणे के 512 आर्मी बेस वर्कशॉप (ABW) से पहला ओवरहॉल्ड आर्मर्ड रिकवरी व्हीकल (ARV) VT-72B लॉन्च किया गया. यह वाहन टैंकों और अन्य भारी वाहनों को युद्धक्षेत्र में ठीक करने और निकालने के लिए इस्तेमाल होता है.
एयरबॉर्निक्स डिफेंस एंड स्पेस प्राइवेट लिमिटेड (ADSL), जो JCBL ग्रुप की सब्सिडियरी है ने इस प्रोजेक्ट में सेना का साथ दिया. यह उद्योग और सेना के बीच सहयोग का एक बड़ा उदाहरण है.
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VT-72B ARV क्या है?
VT-72B एक आर्मर्ड रिकवरी व्हीकल है, जो T-72 टैंक के चेसिस पर बना है. यह स्लोवाकिया से 1994 और 1997 में खरीदा गया था. 1994 में 35 वाहन 32 मिलियन डॉलर में और 1997 में 45 वाहन 90 मिलियन डॉलर में मिले. कुल मिलाकर, सेना के पास 80 से ज्यादा VT-72B हैं.
यह वाहन युद्ध में टूटे टैंकों को खींचता है, ठीक करता है और भारी सामान उठाता है. इसमें 15 टन तक का क्रेन, डोजर ब्लेड, विंच और मरम्मत के उपकरण हैं. यह 12.7mm मशीन गन से लैस है. पुराने होने से स्पेयर पार्ट्स की कमी हो रही थी, लेकिन अब ओवरहॉल से यह नया जीवन पा गया.
प्रोजेक्ट लोटस के तहत ADSL ने वाहन के उपयोगी हिस्से को ओवरहॉल किया. इसमें वाहन को तोड़ना, महत्वपूर्ण पार्ट्स बदलना और मेजर यूनिट असेंबली (MUAs) को ठीक करना शामिल था. ADSL की टीम ने सेना के अधिकारियों के साथ मिलकर हर स्टेज पर सटीक काम किया. इससे आयातित पार्ट्स पर निर्भरता कम हुई और आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा मिला.
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भविष्य की योजनाएं
समारोह में लेफ्टिनेंट जनरल अमरदीप सिंह औजला, मास्टर जनरल सस्टेनेंस ने फ्लैग-ऑफ किया. उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स (EME) कोर की तारीफ की. JCBL ग्रुप व ADSL को धन्यवाद दिया. लेफ्टिनेंट जनरल जेएस सिदाना (EME के डायरेक्टर जनरल), मेजर जनरल ललित कपूर, मेजर जनरल पीएस बिंद्रा, संजीव बब्बर (JCBL डायरेक्टर) और कर्नल राजविंदर सिंह (रिटायर्ड, ADSL COO) भी मौजूद थे.
JCBL ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर रिशी अग्रवाल ने कहा कि हम भारतीय सेना के साथ VT-72B के ओवरहॉल में पार्टनर बनकर गौरवान्वित हैं. यह हमारी विश्व-स्तरीय इंजीनियरिंग से भारत की रक्षा तैयारियों को मजबूत करने की प्रतिबद्धता दिखाता है.
सेना की तैयारियों को कैसे मिलेगा फायदा?
यह ओवरहॉल सेना की ऑपरेशनल रेडीनेस को बढ़ाएगा. युद्धक्षेत्र में टैंकों और भारी उपकरणों को जल्दी ठीक करने से डाउनटाइम कम होगा. आर्मर्ड फॉर्मेशन्स की उपलब्धता बढ़ेगी. ट्रेनिंग या लड़ाई में तुरंत सपोर्ट मिलेगा. इससे सेना की बैटलफील्ड मोबिलिटी मजबूत होगी.
पुराने वाहनों को नया जीवन देकर सेना का आर्मर्ड फ्लीट लंबे समय तक चलेगा. यह प्रोजेक्ट सेना और निजी उद्योग के बीच अच्छे सहयोग का उदाहरण है. इससे रक्षा रखरखाव में स्वदेशी पारिस्थितिकी मजबूत होगी. भविष्य में पूरा फ्लीट अपग्रेड होगा, जो भारत की रणनीतिक स्वायत्तता बढ़ाएगा.
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