कल रात (7 सितंबर 2025) को आसमान में पूर्ण चंद्रग्रहण यानी ब्लड मून था. लाल रंग के इस चांद को दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू समेत पूरे भारत में देखा गया. आपने अक्सर नीला, पीला या गुलाबी चांद देखा होगा, पर क्या आपने सोचा है कि इसका असली रंग क्या है?
क्या है चांद का असली रंग?
2009 में चांद की स्टडी के लिए वहां भेजे गए लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर से मिली तस्वीरों में चांद की सतह डार्क ग्रे और जगह-जगह पर ग्रे रंग के ही कईं शेड्स की नजर आती है.
अपोलो मून मिशन्स के दौरान चंद्रमा की धरती से इकट्ठे किए गए मिट्टी और पत्थरों के सैंपल की तुलना भी जब धरती की मिट्टी से की गई, तो पाया गया कि चंद्रमा का ये ग्रे रंग वहां पाई जाने वाली बेसाल्ट की चट्टानों और ज्वालामुखी की सूखी लावा के कारण है. बेसाल्ट के ऐसे पत्थर धरती पर ज्वालामुखी के पास भी मिलते हैं.
इसके अलावा ऑक्सीजन, कांच, टाइटेनियम और सल्फर जैसे मिनरल्स होने की वजह से चांद के क्रेटर्स पर हरे, नीले और पीले धब्बे भी है.
यूरोपीय स्पेस एजेंसी के जुपीटर आइसी मून्स एक्सप्लोरर स्पेसक्राफ्ट से खींची गई तस्वीरें बताती हैं कि ऑर्बिटल रॉक्स हल्की लाल और नीली भी हैं, ना कि पूरी तरह से ग्रे. हालांकि चांद के साउथ पोल के सटीक रंग की जानकारी अभी वैज्ञानिकों को नही हो पाई है.
फिर सफेद क्यों नजर आता है चांद?
चांद का सफेद रंग असल में हमारी आखों का भ्रम है. उसका अपना कोई रंग नही है, वो केवल सूरज की रोशनी को रिफ्लेक्ट करता है. सूरज की ये रोशनी इतनी तेज है कि इसके पीछे चांद का सलेटी (ग्रे) रंग छुप जाता है. चांद पर मौजूद वॉल्केनिक चट्टानें उसतक पहुंचने वाली ज्यादातर रोशनी को अब्जोर्ब कर लेती है.
चांद की सतह पर रेगोलिथ नाम की एक लेयर है जो बिना किसी वेवलेंथ वाली लाइट को फेवर किए सूरज की सारी रोशनी को रिफ्लेक्ट करती है. जो लाइट हमारी आखों तक पहुंचती है वो सारी वेवलेंथ वाली लाइटों का मिश्रण है. और उसका रंग सफेद है, इसलिए आमतौर पर चांद सफेद ही दिखता है.
कहां से आते हैं इसके अलग-अलग रंग?
कभी ये हमे पीला नज़र आता है तो कभी नीला. इसके इतने सारे रंगों के पीछे साइंस है. चांद सूरज की जिस रोशनी को रिफ्लेक्ट करता है, उसे वापस हमारी आखों तक पहुंचने में समय लगता है. इस दौरान धरती के एट्मॉस्फेयर में मौजूद पार्टिकल्स उसे फैला देते हैं. जिस वेवलेंथ की रोशनी उनमें से हम तक पहुंच जाए, हमें उसी रंग का चांद नजर आता है.
ब्लड मून क्या है?
ब्लड़ मून या पूर्ण चंद्रग्रहण हर ढ़ाई साल में एकबार होता है. इस दौरान पृथ्वी की परछाई पूर्णिमा के चांद को पूरी तरह ढक लेती है और सूरज की रोशनी को स्कैटर करती है. क्योंकि लाल रंग की वेवलेंथ सबसे ज्यादा है, इसलिए हमें चांद बिलकुल लाल दिखाई देता है.
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