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राहुल की प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले जानिए क्या होता है हाइड्रोजन बम? – what is hydrogen bomb how many countries have it


हाइड्रोजन बम, जिसे थर्मोन्यूक्लियर बम भी कहते हैं, एक बहुत शक्तिशाली परमाणु हथियार है. यह परमाणु बम से भी ज्यादा विनाशकारी है. इसका विस्फोट लाखों लोगों की जान ले सकता है. कुछ ही देशों के पास यह बम है. 

हाइड्रोजन बम क्या है?

हाइड्रोजन बम एक उन्नत परमाणु हथियार है, जो हाइड्रोजन के आइसोटोप्स (ड्यूटेरियम और ट्रिटियम) के फ्यूजन (संलयन) से ऊर्जा पैदा करता है. यह सूरज में होने वाली ऊर्जा उत्पादन की प्रक्रिया जैसा है. इस बम में पहले एक छोटा परमाणु विस्फोट (फिशन) होता है, जो इतनी गर्मी पैदा करता है कि हाइड्रोजन आइसोटोप्स का फ्यूजन शुरू हो जाता है. इससे भयानक ऊर्जा निकलती है, जो बड़े क्षेत्र को नष्ट कर सकती है.

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हाइड्रोजन बम की ताकत टन या मेगाटन TNT (विस्फोटक) में मापी जाती है. उदाहरण के लिए, 1 मेगाटन का हाइड्रोजन बम 10 लाख टन TNT के बराबर विस्फोट करता है. यह हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम (लगभग 15 किलोटन) से सैकड़ों गुना ज्यादा शक्तिशाली है.

What is Hydrogen Bomb

कितने देशों के पास है हाइड्रोजन बम?

हाइड्रोजन बम बहुत जटिल और महंगा हथियार है, इसलिए इसे बनाने की तकनीक कुछ ही देशों के पास है. निम्नलिखित देशों के पास हाइड्रोजन बम होने की पुष्टि या संदेह है…

  • संयुक्त राज्य अमेरिका (USA): पहला हाइड्रोजन बम 1952 में टेस्ट किया. इसके पास हजारों थर्मोन्यूक्लियर हथियार हैं.
  • रूस: 1953 में हाइड्रोजन बम टेस्ट किया. रूस के पास भी हजारों ऐसे हथियार हैं.
  • यूनाइटेड किंगडम (UK): 1957 में टेस्ट किया. सीमित संख्या में हाइड्रोजन बम हैं.
  • फ्रांस: 1968 में टेस्ट किया. इसके पास कुछ सौ थर्मोन्यूक्लियर हथियार हैं.
  • चीन: 1967 में हाइड्रोजन बम टेस्ट किया. इसके पास भी सैकड़ों हथियार हैं.
  • उत्तर कोरिया: 2017 में दावा किया कि उसने हाइड्रोजन बम टेस्ट किया. हालांकि, विशेषज्ञों को इसकी पूरी पुष्टि पर संदेह है, लेकिन इसे गंभीरता से लिया जाता है.
  • भारत: 1998 में ‘ऑपरेशन शक्ति’ में भारत ने थर्मोन्यूक्लियर डिवाइस टेस्ट करने का दावा किया. लेकिन कुछ विशेषज्ञ इसे पूर्ण हाइड्रोजन बम नहीं मानते. भारत के पास संभवतः सीमित संख्या में ऐसे हथियार हैं.
  • पाकिस्तान: इसके पास हाइड्रोजन बम होने का कोई पक्का सबूत नहीं है, लेकिन परमाणु हथियारों की क्षमता बढ़ाने की कोशिशें चल रही हैं.

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इजरायल के पास भी परमाणु हथियार होने का संदेह है, लेकिन हाइड्रोजन बम की पुष्टि नहीं हुई. कुल मिलाकर, 5 देशों (USA, रूस, UK, फ्रांस, चीन) के पास पक्के तौर पर हाइड्रोजन बम हैं, जबकि उत्तर कोरिया और भारत के दावों पर कुछ बहस है.

हाइड्रोजन बम कितना खतरनाक है?

हाइड्रोजन बम की विनाशकारी शक्ति भयानक है. यह परमाणु बम से कई गुना ज्यादा शक्तिशाली है. इसके प्रभाव इस प्रकार हैं…

What is Hydrogen Bomb

  • विस्फोट: एक 1 मेगाटन का हाइड्रोजन बम 10-15 किमी क्षेत्र में सब कुछ नष्ट कर सकता है. इमारतें, सड़कें, और बुनियादी ढांचा पूरी तरह खत्म हो सकता है.
  • गर्मी: यह इतनी गर्मी पैदा करता है कि कई किलोमीटर तक लोग जल सकते हैं. कपड़े, लकड़ी और प्लास्टिक तुरंत आग पकड़ लेते हैं.
  • रेडिएशन: विस्फोट के बाद रेडियोधर्मी कण (फॉलआउट) हवा में फैलते हैं, जो लंबे समय तक कैंसर और अन्य बीमारियां फैलाते हैं.
  • शॉकवेव: विस्फोट की हवा का दबाव इतना तेज होता है कि यह इमारतों को उड़ा देता है. लोगों को भारी चोट पहुंचाता है.
  • पर्यावरणीय नुकसान: बड़े क्षेत्र में पेड़, जानवर और पानी के स्रोत नष्ट हो सकते हैं. रेडिएशन से मिट्टी और पानी प्रदूषित हो जाता है.

उदाहरण के लिए, रूस का 1961 में टेस्ट किया गया ‘त्सार बोम्बा’ 50 मेगाटन का हाइड्रोजन बम था, जो इतना शक्तिशाली था कि 100 किमी दूर तक इसका प्रभाव दिखा. अगर यह किसी शहर पर गिरे, तो लाखों लोग मर सकते हैं और पूरा शहर मिनटों में खत्म हो सकता है.

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क्यों चिंता का विषय है?

हाइड्रोजन बम की ताकत इसे विश्व शांति के लिए बड़ा खतरा बनाती है. अगर इसका इस्तेमाल हुआ, तो यह न केवल तुरंत लाखों लोगों की जान ले सकता है, बल्कि लंबे समय तक पर्यावरण और स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकता है. विशेषज्ञ इसे ‘म्यूचुअल एश्योर्ड डिस्ट्रक्शन’ (MAD) कहते हैं, यानी अगर कोई देश इसका इस्तेमाल करता है, तो जवाबी हमला दोनों पक्षों को बर्बाद कर देगा.

इसलिए, विश्व में परमाणु हथियारों को कम करने के लिए समझौते जैसे START (Strategic Arms Reduction Treaty) और NPT (Non-Proliferation Treaty) बनाए गए हैं. लेकिन कुछ देशों, जैसे उत्तर कोरिया, के टेस्ट और दावों से तनाव बढ़ता है.

भारत का परिदृश्य

भारत ने 1998 में पोखरण-II टेस्ट (ऑपरेशन शक्ति) में एक थर्मोन्यूक्लियर डिवाइस टेस्ट किया, जिसकी ताकत 45 किलोटन थी. कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह पूरी तरह सफल हाइड्रोजन बम नहीं था, लेकिन भारत इसे अपनी रक्षा नीति का हिस्सा मानता है.

भारत की ‘नो फर्स्ट यूज’ नीति कहती है कि वह पहले परमाणु हमला नहीं करेगा, लेकिन जवाबी हमले में इन हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है. भारत के पास अग्नि-5 जैसे मिसाइल हैं, जो हाइड्रोजन बम ले जा सकते हैं.

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